देश का औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर महीने में बढ़ने की जगह 5.10 फीसदी घट गया है। सरकार की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अक्टूबर 2011 में पिछले साल अक्टूबर की तुलना में 5.10 फीसदी घट गया है। पिछले साल अक्टूबर में आईआईपी साल भर पहले की तुलना में 11.3 फीसदी बढ़ गया था। औद्योगिक मोर्चे पर इससे ज्यादा विकट स्थिति साल 2009 के शुरुआती तीन महीनों में ही हुई थी, जबकिऔरऔर भी

मार्च में देश का औद्योगिक उत्पादन उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर रफ्तर से बढ़ा है। इसने भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रही किसी भी धीमेपन के डर को दरकिनार कर दिया है। इससे उन आलोचनाओं पर भी लगाम लग सकती है जिनमें कहा जा रहा है था कि रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को थामने के उत्साह में आर्थिक विकास को दांव पर लगा दिया है। मार्च 2011 में फैक्ट्रियों, खदानों व सेवा क्षेत्र में उत्पादन साल भर पहलेऔरऔर भी

दिसंबर 2010 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों को देखें तो दिसंबर 2009 की तुलना में यह केवल 1.6 फीसदी बढ़ा है। यह पिछले बीस महीनों में औद्योगिक उत्पादन में हुई सबसे कम वृद्धि दर है। लेकिन अगर अप्रैल-दिसंबर 2010 के नौ महीनों की बात करें तो औद्योगिक विकास दर पिछले वित्त वर्ष 2009-10 की समान अवधि के बराबर 8.6 फीसदी है। रेटिंग एजेंसी केयर का कहना है कि इस दिसंबर में आईआईपी में कम वृद्धिऔरऔर भी

औद्योगिक विकास की दर अक्टूबर के 11.3 फीसदी से अचानक झटका खाकर नवंबर में 2.7 फीसदी पर आ गई है। केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) द्वारा बुधवार को जारी आकंड़ों के अनुसार नवंबर 2010 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) साल भर पहले की तुलना में 2.7 फीसदी बढ़ा है, जबकि इससे पिछले महीने अक्टूबर 2010 में यह वृद्धि दर 11.3 फीसदी दर्ज की गई थी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इन आंकड़ों के जारी होने के बाद कहाऔरऔर भी