औद्योगिक विकास की दर अक्टूबर के 11.3 फीसदी से अचानक झटका खाकर नवंबर में 2.7 फीसदी पर आ गई है। केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) द्वारा बुधवार को जारी आकंड़ों के अनुसार नवंबर 2010 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) साल भर पहले की तुलना में 2.7 फीसदी बढ़ा है, जबकि इससे पिछले महीने अक्टूबर 2010 में यह वृद्धि दर 11.3 फीसदी दर्ज की गई थी।
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इन आंकड़ों के जारी होने के बाद कहा कि सरकार औद्योगिक उत्पादन में सुधार लाने के उपायों पर गौर कर रही है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष में दिसंबर से मार्च तक के बाकी चार महीनों में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में वृद्धि के आंकड़े बेहतर रहेंगे। बता दें कि दिसंबर 2010 के आईआईपी के आंकड़े 11 फरवरी को जारी किए जाएंगे।
सीएसओ के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में नवंबर तक के आठ महीनों में औद्योगिक विकास की दर 9.5 फीसदी रही है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 7.4 फीसदी रही थी। गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष 2009-10 में औद्योगिक विकास की दर 10.4 फीसदी रही थी, जबकि उससे पिछले वर्ष 2008-09 में यह केवल 2.8 फीसदी ही थी।
नवंबर में औद्योगिक उत्पादन की दर कम रहने की वजह मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर, खासकर कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल का खराब कामकाज है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में करीब 80 फीसदी का योगदान मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का है। नवंबर माह में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की विकास दर मात्र 2.3 फीसदी रही है जबकि साल भर पहले इसमें 12.3 फीसदी की बढ़त हुई थी। कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल सेगमेंट के उत्पादन में 6 फीसदी की कमी आई है, जबकि साल भर पहले यह 2.3 फीसदी बढ़ा था।
हालांकि इस दौरान कैपिटल गुड्स सेक्टर में 12.6 फीसदी, बेसिक गुड्स में 4.5 फीसदी और इंटरमीडिएट गुड्स में 2.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। कंज्यूमर ड्यूरेबल की वृद्धि दर 4.3 फीसदी रही है, लेकिन कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल में 6 फीसदी की कमी के कारण पूरे कंज्यूमर गुड्स सेक्टर की वृद्धि दर (-) 3.1 फीसदी रह गई है।
बता दें कि सरकार ने उद्योगों को उपभोग के आधार पर सेक्टरों और प्रकृति के हिसाब से समूहों में बांट रखा है। सीएसओ के आंकड़ों के मुताबिक कुल 17 में 9 उद्योग समूहों में नवंबर 2010 के दौरान वृद्धि हुई है। इसमें सबसे ज्यादा वृद्धि ट्रांसपोर्ट उपकरण व कल-पुर्जे (15.6 फीसदी), लेदर और लेदर व फर के उत्पाद (12.6 फीसदी) और अन्य मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग (9.6 फीसदी) में हुई है। दूसरी तरफ लकड़ी के उत्पादों और फर्नीचर व फिक्सचर उद्योग समूह में 27.4 फीसदी और जूट व अन्य वानस्पतिक फाइबर टेक्सटाइल्स समूह में 17.5 फीसदी की गिरावट आई है।
आखिर में एक नजर कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल सेगमेंट के दो चुनिंदा आइटमों पर जिसके कारण मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि दर घट गई है और नतीजतन पूरा आईआईपी सूचकांक भी दबकर रह गया है। इसमें से एक है राइस ब्रान ऑयल जिसके उत्पादन में 57.9 फीसदी की कमी आई है और दूसरा है केश तेल/आयुर्वेदिक केश जिसका उत्पादन 42.5 फीसदी गिरा है। ये तेल तो गए तेल लेने। इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन इंटरमीडिएट गुड्स सेक्टर में शामिल स्पन पाइप के उत्पादन में 38.2 फीसदी, रेलवे/कांक्रीट स्लीपर में 34.9 फीसदी व पार्टिकल बोर्ड में 29.6 फीसदी और कैपिटल गुड्स में शामिल कृषि उपकरणों में 55.6 फीसदी व औद्योगिक मशीनरी में 46.7 फीसदी कमी का आना चिंताजनक है।