सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के संबंध में कैग की रिपोर्ट को कमतर आंकने वाले बयानों को लेकर दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल की खिंचाई की है और उनसे जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार करने को कहा है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने कहा ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है। मंत्री को जिम्मेदारी का कुछ तो अहसास होना चाहिए।’’ न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह किसी के भी बयानों से प्रभावित हुएऔरऔर भी

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने भले ही 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रूपए के नुकसान संबंधी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के आकलन को गलत बताया हो लेकिन इसे न तो सुप्रीम कोर्ट और न ही कैग ने कोई तवज्जो दी है। कैग का कहना है कि वह संसद को सौंपी अपनी रिपोर्ट पर कायम है, जबकि सुप्रीम ने सिब्बल के बयान पर यह कहते हुए संज्ञान नहीं लेने से इनकार कर दिया कि यहऔरऔर भी

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले पर कैग की रिपोर्ट को गलत बताने की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने शनिवार को कहा कि यह ‘अनुचित’ है और उनके ‘लापरवाही से भरे’ दृष्टिकोण को दर्शाता है। जोशी ने कहा कि दूरसंचार सचिव आर चंद्रशेखर पीएसी के समक्ष उपस्थित हुए, लेकिन कभी भी कैग (सीएजी) के स्पेक्ट्रम आवंटन मेंऔरऔर भी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हफ्ते भर पहले की गई अपनी पेशकश को अमली जामा पहनाते हुए सोमवार को बाकायदा लोक लेखा समिति (पीएसी) को एक पत्र भेजकर कहा कि वे 2जी स्पेटक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच के सिलसिले में समिति के सामने पेश होने को तैयार हैं। उन्होंने पीएसी के अध्यक्ष और बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी को यह पत्र उस दिन भेजा है, जब नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय भी पीएसी के सामने पेशऔरऔर भी

1858 में ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत में सत्ता की बागडोर अपने हाथों में लेते ही ब्रिटिश सरकार ने सार्वजनिक खातों के लेखा-परीक्षण की अहमियत समझ ली थी। उसने 16 नवंबर 1860 को भारत का पहला महा लेखा-परीक्षक एडमंड ड्रुमंड को बनाया था। ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद भारत 1950 में गणराज्‍य बन गया और महा लेखा-परीक्षक का पद जारी रहा हालांकि इसका नाम बदलकर भारत का नियंत्रक एवं महा लेखा-परीक्षक (सीएजी या कैग) कर दियाऔरऔर भी

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा को वर्ष 2008 में नई कंपनियों को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटित करने में प्रधानमंत्री, वित्त मंत्रालय और विधि मंत्रालय की सलाह को नजरअंदाज करने का दोषी करार दिया है। मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में इस मामले में पेश कैग की एक रिपोर्ट के अनुसार, दूरसंचार मंत्री के रूप में राजा के इस रवैये से सरकार को 1. 76 लाख करोड़ रुपए के संभावित राजस्व काऔरऔर भी

देश की तकरीबन 40 ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों में की जानेवाली छोटी से बड़ी खरीद में इस कदर भ्रष्टाचार छाया हुआ है कि ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम अपनाने का काम एक बार फिर 26 अक्टूबर 2010 तक टाल दिया गया है। खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए पहले तय हुआ था कि 10 लाख रुपए से ज्यादा की सारी खरीद 1 अगस्त 2010 से ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम से ऑनलाइन की जाएगी। लेकिन ऐन-वक्त पर इसकी तारीख टाल कर 1 सितंबर 2010 करऔरऔर भी

देश की तमाम ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों में सालाना खरीद के टेंडरों में भयंकर पक्षपात व धांधली होती है। यहां तक कि अफसरों व बाबुओ ने तमाम फर्जी कंपनियां बना रखी हैं जिनके नाम ही ज्यादातर टेंडर जारी किए जाते हैं। इन अफसरान की मेज के दराज में ही कंपनियों के लेटरहेड पड़े रहते हैं और वे बिना किसी शर्म के एक ही अंदाज में कई कंपनियों की तरफ से टेंडर भर देते हैं। यह बात ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों मेंऔरऔर भी

जुमे का दिन है, शुक्रवार है। लोकसभा ने सांसदों के वेतन को तीन गुना बढ़ाने और प्रमुख भत्तों को दोगुना करने का विधेयक पास कर दिया। सांसद गदगद हैं, मस्त हैं। लेकिन पिछले शुक्रवार को जब उन्होंने इसके लिए संसद में गदर मचा रखी थी, उसी दिन भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी, कैग) ने उनके ध्यानार्थ एक रिपोर्ट पेश की थी कि कैसे देश की ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों में शीर्ष अधिकारियों की मिलीभगत से जनधन कीऔरऔर भी

भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) के मुताबिक वे अगले साल फरवरी तक वह विशेष ऑडिट पूरा कर लेंगे जिसमें रिलायंस इडस्ट्रीज द्वारा देश के सबसे बड़े गैस फील्ड पर किए गए खर्चों का अंकेक्षण किया जा रहा है। सीएजी विनोद राय से सोमवार को मुंबई में संवाददाताओं को यह जानकारी दी। बता दें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज पर आरोप है कि उसने गैस फील्ड की लागत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। कंपनी ने इस खर्च कोऔरऔर भी