जीवन और मृत्यु की शक्तियां बराबर हमें अपनी ओर खींचती रहती हैं। उम्र के एक पड़ाव के बाद मृत्यु हावी हो जाती है। तभी परख होती है हमारी जिजीविषा की कि मृत्यु के जबड़े से हम कितनी ज़िंदगी खींचकर बाहर निकाल लेते हैं।और भीऔर भी

हर विचारधारा की उम्र होती है। किसी की कम तो किसी की थोड़ी ज्यादा। इसके बाद स्वार्थों के पैमाने में कसकर वे अपना सारतत्व खो देती हैं। इसीलिए पुरानी को तोड़ नई विचारधाराएं आती रहती हैं।और भीऔर भी

सत्ता मिलते ही मरतक नेताओं तक के चेहरे चमकने लगते हैं, स्वास्थ्य दमकने लगता है, आयु बढ़ जाती है। सत्ता का यही प्रताप है। जनता को भी सत्ता दे दी जाए तो उसका भी सारा दुख-दारिद्र मिट सकता है।और भीऔर भी

बाजार खुलते ही निफ्टी 5645 तक चला गया। लेकिन बड़ी साफ वजहों से खुद को इस स्तर पर टिकाए नहीं रख सका और धड़ाधड़ 5555 तक गिर गया। बंद हुआ है 0.83 फीसदी की गिरावट के साथ 5567.05 पर। ट्रेडर भौचक और भ्रमित हैं। उनका वही पुराना सवाल है कि बाजार इस तरह आखिर गिरा क्यों? तो प्यारे! यह रोलओवर की पुरानी तकलीफ है। इस डेरिवेटिव सेटलमेंट की एक्सपायरी में सिर्फ सात दिन बचे हैं। इस बीचऔरऔर भी

जब हम जवान होते हैं तो छोटी सी छोटी बात पर मरने पर उतारू हो जाते हैं। बूढ़े होते जाते हैं तो बड़ी सी बड़ी बात होने पर भी जीते रहना चाहते हैं। उम्र इफरात तो कोई भाव नहीं! उम्र कम तो इतना मूल्य!!और भीऔर भी

न सीखने की कोई उम्र होती है और न ही गलतियों को दुरुस्त करने के लिए अगले जन्म की जरूरत होती है। जो कहते हैं कि अगले जन्म ये गलती नहीं करेंगे, वे बस अपनी चमड़ी बचा रहे होते हैं।और भीऔर भी

परदादा से नाती तक की कड़ियां अगर जुड़ी रहें तो नाती को बाप-दादा से लेकर परदादा तक की उम्र लग जाती है और वह दीर्घायु हो जाता है। इसी निरंतरता को हम चाहें तो अपनी लंबी उम्र का सूत्र बना सकते हैं।और भीऔर भी

उम्र बढ़ती है, मृत्यु करीब आती है। लेकिन ज़िंदगी नहीं घटती क्योंकि समझदारी से जिया गया एक साल मूर्खता में जिए गए बीसियों साल के बराबर होता है जैसे रुई का बड़ा ढेर भी कुछ किलो लोहे से नप जाता है।और भीऔर भी