एमटेक समूह की तीन लिस्टेड कंपनियां। तीनों का वास्ता ऑटो कम्पोनेंट उद्योग से। लेकिन तीनों के शेयरों की चाल अलग। एमटेक ऑटो का शेयर साल भर पहले 8 जनवरी 2011 को 174.40 रुपए के शिखर पर था। लेकिन 21 नवंबर 2011 तक 50 फीसदी से ज्यादा टूटकर 86.05 रुपए पर आ गया। फिलहाल 97.50 रुपए पर है। इस तरह निवेशकों को यह साल भर में 44 फीसदी का घाटा करा चुका है। समूह की अन्य कंपनी अहमदनगरऔरऔर भी

हीरो मोटोकॉर्प का शेयर खट-खटाखट बढ़ रहा है। 18 अक्टूबर को सितंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए तो 1984.85 रुपए पर बंद हुआ था। अभी दिवाली के दिन 26 अक्टूबर को मुहूर्त ट्रेडिंग में उसका बंद भाव 2105.65 रुपए रहा है। इस तरह छह कारोबारी सत्रों में वह छह फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है। क्या बनता है इस स्टॉक में लाभ का योग? आइए समझने की कोशिश करते हैं। हीरो मोटोकॉर्प, देश की सबसे बड़ी मोटरसाइकिलऔरऔर भी

आप से यह साझा करने में मुझे कोई हर्ज नहीं लगता कि मैं भी एक छोटा निवेशक हूं। साल 2005 से निवेश करके सीखने-समझने की कोशिश में लगा हूं। हमेशा समझदारी से, पढ़-लिखकर निवेश करता हूं। खुद के फैसले पर कमाया है। औरों के कहने पर घाटा खाया है। पहले बड़े नामों पर भरोसा करता था। अब नहीं करता क्योंकि दूध का जला छाछ भी फूंककर पीता है। इकनॉमिक्स टाइम्स की इनवेस्टर गाइड में पहले एक इनसाइडरऔरऔर भी

गांधीमती एप्लायंसेज चेन्नई की कंपनी है। एलपीजी स्टोव और मिक्सर ग्राइंडर बनाती है। तितली इसका समूह और ब्रांड है। दुकानों में तितली छाप के एलपीजी स्टोव व मिक्सर ग्राइंडर हो सकता है, देखें हों आपने। सरकार तक को साध कर रखती है कंपनी। उसे तमिलनाडु सरकार से हाल ही में करीब 285 करोड़ रुपए के टेबल टॉप वेट ग्राइंडर व मिक्सर ग्राइंडर सप्लाई करने ऑर्डर मिल रखा है जिसे उसे चालू वित्त वर्ष 2011-12 में ही पूराऔरऔर भी

पीआई इंडस्ट्रीज के बारे में जब हमने छह महीने पहले पहली बार यहां लिखा था, तब कंपनी एक कसमसाहट के दौर से गुजर रही थी। पॉलिमर इकाई को बेचकर वह खुद को ट्रिम व स्लिम बनाने में लगी थी। तब उसके दस रुपए अंकित मूल्य के शेयर का भाव 526.55 रुपए था। अब उसके पांच रुपए अंकित मूल्य के शेयर का भाव 582.55 रुपए है। दस रुपए का अंकित मूल्य मानें तो भाव हुआ 1165.10 रुपए। छहऔरऔर भी

मेरा ही नहीं, सभी का अनुभव यही कहता है कि शेयर बाजार में जो सही वक्त पर बेच नहीं पाता, वह कभी सचमुच का धन नहीं बना पाता। हो सकता है कि वह अपना पोर्टफोलियो देख-देखकर मगन होता रहे, लेकिन किसी दिन अचानक उसे पता चलता है कि जहां उसे अच्छा-खासा फायदा हो रहा था, वहां उसे तगड़ा घाटा होने लगा है। बेचना कब है, यह अपनी जरूरत और विवेक के हिसाब से तय करना चाहिए। ब्रोकरोंऔरऔर भी