गांधीमती एप्लायंसेज चेन्नई की कंपनी है। एलपीजी स्टोव और मिक्सर ग्राइंडर बनाती है। तितली इसका समूह और ब्रांड है। दुकानों में तितली छाप के एलपीजी स्टोव व मिक्सर ग्राइंडर हो सकता है, देखें हों आपने। सरकार तक को साध कर रखती है कंपनी। उसे तमिलनाडु सरकार से हाल ही में करीब 285 करोड़ रुपए के टेबल टॉप वेट ग्राइंडर व मिक्सर ग्राइंडर सप्लाई करने ऑर्डर मिल रखा है जिसे उसे चालू वित्त वर्ष 2011-12 में ही पूरा करना है। यह अकेला ऑर्डर पिछले पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में हासिल 266.52 करोड़ रुपए की बिक्री से ज्यादा है।
पिछले पांच सालों में उसकी बिक्री 48.69 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष 2011-11 की पहली तिमाही में साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में उसकी बिक्री 48.69 फीसदी बढ़कर 68.15 करोड़ और शुद्ध लाभ 60.29 फीसदी बढ़कर 3.35 करोड़ रुपए हो गया। स्मॉल कैप कंपनी है। इसलिए ज्यादा लोग इसे ट्रैक नहीं करते। 9.63 करोड़ रुपए की इक्विटी है जिसमें पब्लिक का हिस्सा 35.08 फीसदी है। बाकी 64.92 फीसदी पूंजी प्रवर्तकों के पास है। जून 2011 की तिमाही तक प्रवर्तकों ने इसका 5.09 फीसदी (कंपनी की कुल इक्विटी का 3.30 फीसदी) हिस्सा गिरवी रखा हुआ है।
कंपनी में एफआईआई ने कोई निवेश नहीं कर रखा है, जबकि डीआईआई का निवेश भी 0.02 फीसदी तक सिमटा है। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 8932 है। इनमें से 8643 (96.76 फीसदी) एक लाख रुपए से कम शेयर पूंजी वाले छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी की 20.58 फीसदी इक्विटी है। प्रवर्तकों से भिन्न पब्लिक की श्रेणी में दो ही बड़े शेयरधारक हैं। एक हैं मलेका मितेन मेहता जिनके पास 1.04 फीसदी शेयर हैं और दूसरी हैं डॉली खन्ना जिनके पास कंपनी के 1.40 फीसदी शेयर हैं।
असल में 310 करोड़ रुपए के बाजार पूंजीकरण वाली स्मॉल कैप कंपनी पर बड़े निवेशकों का ध्यान कम ही जाता है। लेकिन ऐसी कंपनियां अगर मजबूत हों तो आम निवेशकों को मालामाल कर देती हैं। आपको यकीन नहीं आएगा कि 2008-09 में 123.57 करोड़ रुपए की बिक्री के बावजूद केवल बीएसई में लिस्टेड इस कंपनी का शेयर (कोड – 517421) अपने दस रुपए अंकित मूल्य के नीचे 8-9 रुपए पर चल रहा था। मार्च 2009 में यह अधिकतम 9.85 रुपए और न्यूनतम 8.12 रुपए तक गया था।
इसके बाद लगातार यह धीरे-धीरे बढ़ता-बढ़ता इस साल 25 जुलाई 2011 को 373.95 रुपए तक चला गया। इसके बाद 52 हफ्ते के इस कंगूरे से यह अब नीचे उतरा है। बीते हफ्ते शुक्रवार, 9 सितंबर को 4.43 फीसदी बढ़कर 324 रुपए पर बंद हुआ है। इसे कहते हैं असली मल्टी-बैगर। 2008-09 में भले ही यह पेनी स्टॉक जैसा दिख रहा था। लेकिन जिस किसी ने भी उस वक्त पारदर्शी वित्तीय आंकड़ों के दम पर बन रही इसकी अंतर्निहित ताकत देख कर दांव लगाया होगा, वह आज अपनी पूंजी को 36 गुना कर चुका होगा। तीन साल में 3600 फीसदी रिटर्न!!
आज की बात करें तो अब इसमें निवेश का मौका नहीं है। बल्कि, जिनके पास इसके शेयर हों, उन्हें बेचकर निकल लेना चाहिए। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 14.77 रुपए है। इस तरह उसका शेयर फिलहाल 21.94 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। उसका अधिकतम पी/ई अनुपात 24.53 का रहा है जो उसने दो महीने पहले जुलाई में हासिल किया था। यह शेयर साल भर पहले 24 सितंबर 2010 को 71.30 रुपए पर था जो पिछले 52 हफ्ते का उसका न्यूनतम स्तर है। कंपनी के शेयर की बुक वैल्यू 42.93 रुपए है यानी बाजार भाव का मात्र 1/7.55 यानी 13.25 फीसदी। जाहिर है कि सारी खूबियों के बावजूद गांधीमती एप्लायंसेज का शेयर इस समय काफी महंगा हो चुका है। इसकी तितली उड़ चुकी है।