अगर कुछ ठोस उपाय नहीं किए गए तो भारतीय रेल की माली हालत ध्वस्त होने की कगार है। करीब महीने भर पहले 17 फरवरी को परमाणु ऊर्जा आयोग के चेयरमैन अनिल काकोदकर की अध्यक्षता में बने विशेषज्ञ दल ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही थी। उसका कहना था कि भारतीय रेल को सुरक्षित यात्रा के मानकों को पूरा करने के लिए करीब एक लाख करोड़ रुपए लगाने होंगे। इसके दस दिन बाद 27 फरवरी को राष्ट्रीयऔरऔर भी

प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा की अध्‍यक्षता में रेल मंत्रालय द्वारा भारतीय रेल के आधुनिकीकरण के लिए गठित विशेषज्ञ समूह ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को सौंप दी। उसके द्वारा प्रस्ताविक आधुनिकीकरण की कुल अनुमानित लागत 5,60,396 करोड़ रुपए है। इसका एक अंश उसने यात्रियों पर सरचार्ज लगाकर जुटाने को कहा है। उसका कहना है कि भारतीय रेल को अपने उपक्रमों के विनिवेश के साथ ही धन जुटाने के दूसरे उपायों पर भीऔरऔर भी

देश में कंप्यूटर और अत्याधुनिक सूचना तकनीक के पैरोकार सैम पित्रोदा के मुताबिक उपलब्ध सूचनाओं व ज्ञान को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने की जरूरत है। इससे न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा बल्कि सेवाओं की वितरण व्यवस्था में भी सुधार होगा। बता दें कि सैम पित्रोदा जहां राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (एनकेसी) के चेयरमैन हैं, वहीं लोक सूचना, इंफ्रास्ट्रक्चर व नवोन्मेष पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार भी हैं। राजधानी दिल्ली में बुधवार को फोर स्कूलऔरऔर भी

राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष और पब्लिक इनफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर व इनोवेशंस पर प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा का मानना है कि सतत वृद्धि के लिए शोध की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें कल की चुनौतियों का सामना करने के लिए स्वास्थ्य, ऊर्जा, प्रशासन और बुनियादी ढांचे समेत जीवन के तमाम क्षेत्रों में शोध को बढ़ावा देना होगा। शोध की जरूरत पर बल देते हुए पित्रोदा ने देश में पब्लिक इनफार्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 20 अरब अमेरिकीऔरऔर भी

देश में उच्च शिक्षा की स्थिति का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण कराने के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के फैसले से राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (एनकेसी) के अध्यक्ष सैम पित्रोदा खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि इससे शिक्षा के क्षेत्र में सुधार पर अमल करने में देरी होगी। पित्रोदा ने राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘‘मानव संसाधन विकास के उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सर्वेक्षण कराने के फैसले से मैं परेशानऔरऔर भी

शिकागो के ग्लोबल फूडबैंकिंग नेटवर्क (जीएफएन) ने भारत में फूड बैंक खोलने का फैसला किया है। जीएफएन एक एनजीओ है और खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है। इसने दुनिया के करीब तीस देशों में फूड बैंक बना रखे हैं, जिनके जरिए गरीब व जरूरतमंद लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विशेष सलाहकार सैम पित्रोदा जीएफएन के बोर्ड में है। पित्रोदा ने राजधानी दिल्ली में एक समारोह के दौरान जानकारी दी कि जीएफएनऔरऔर भी