सच्ची देशभक्ति इसमें है कि देश के बाहरी दुश्मनों की संख्या न्यूनतम करते हुए व्यापक अवाम के हित में देश में उपलब्ध प्राकृतिक व मानव संसाधनों का अधिकतम उपयोग कैसे पक्का किया जाए। जैसे, भारत के पास दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा कृषियोग्य भूमि है। लेकिन हमारी कृषि की उत्पादकता चीन व अमेरिका की आधी भी नहीं है। इसे सही कर देने से कृषि में छिपे अवसर खुल जाएंगे। तथास्तु में आज कृषि से जुड़ी एक कंपनी…औरऔर भी

दो-चार दिन, चंद हफ्तों या महीनों में शेयरों के भाव डर व लालच से तय होते हैं। इसलिए ट्रेडिंग करनेवालों को इन दो भावनाओं की गहरी समझ हासिल करनी पड़ती है। वहीं, दो-चार या दस-पंद्रह साल में शेयरों के भाव संबंधित कंपनियों के बिजनेस से तय होते हैं। निवेश व ट्रेडिंग की बारीकियां अलग हैं। दोनों में कंपनियां चुनने के आधार अलग हैं। आज तथास्तु में ऐसी कंपनी जिसका अतीत, वर्तमान व भविष्य, तीनों दमदार दिखते हैं…औरऔर भी

नोटबंदी ने देश के 25 करोड़ से ज्यादा परिवारों ही नहीं, भारतीय अर्थव्यवस्था तक की रीढ़ हिला दी है। अपने यहां काम-धंधे का अनौपचारिक क्षेत्र है जो फैक्टरी, खनन, कंपनी या दुकानों से जुड़े कानूनों में पंजीकृत नहीं है। इसका देश के कुल उत्पादन में 48% और रोज़गार में 80% हिस्सा है। इसे तगड़ा झटका लगा है। संगठित क्षेत्र की छोटी कंपनियां भी परेशान हैं। हालांकि उनका आधार बड़ा मजबूत है। तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

हमारे गांवों से लेकर गली-कूचों तक जिस तरह के उद्यमी लोग भरे पड़े है, उन्हें अगर सही सरकारी नीतियों का साथ मिल जाए तो भारत को विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। सरकार की गलत नीतियां उसकी चाल को धीमा तो कर सकती है। लेकिन तोड़ नहीं सकतीं। यही अटूट संभावना है जो उभरती कंपनियों में निवेश की बुनियाद तैयार करती है। अब तथास्तु में आज की छोटी, मगर मारक कंपनी…औरऔर भी

इंसानी फितरत और विकास का सार यही है कि वो बदतर से बदतर सूरत का भी सकारात्मक पक्ष निकाल लेता है। नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था में आधे से ज्यादा योगदान करनेवाले छोटे उद्योगों पर बुरी मार पड़ी है। सेंसेक्स 18 दिन में 6.64% झटक गया है। लेकिन अच्छी बात यह है कि इससे बहुतेरे मजबूत शेयर नीचे आ गए हैं। हालांकि, वे थोड़ा और गिर जाते तो अच्छा होता। तथास्तु में ऐसी ही एक मजबूत कंपनी…औरऔर भी

नोटबंदी कितनी सफल होगी और प्रधानमंत्री मोदी 50 दिन बाद ‘सपनों का भारत’ दे पाएंगे या नहीं, इस पर अभी से कुछ कहना मुश्किल है। वैसे ‘सपनों का भारत’ इतना छोटा नहीं हो सकता कि इतने कम समय में हासिल हो जाए। लेकिन इतना साफ है कि आम जीवन से लेकर नोटों तक में भविष्य डिजिटल का ही होना है। आज तथास्तु में ऐसी सॉफ्टवेयर कंपनी जो अब डिजिटल जगत में अपना सिक्का जमाती जा रही है…औरऔर भी

दो महीने पहले 7 सितंबर को 52 हफ्तों का शिखर छूनेवाला निफ्टी अब तक 7.5% गिर चुका है। संभव है कि दिसंबर में अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से यह और गिर जाए। लेकिन इसी दौरान मजबूत शेयर कुलाचें मार रहे हैं। हम आज तथास्तु में जो कंपनी उठा रहे हैं, उसका शेयर जून में 60 के आसपास था। अभी 300 रुपए के करीब है। बाज़ार में सतह के नीचे की इन अंतर्धाराओं को पकड़ना ज़रूरी है।औरऔर भी

अपना समाज मूल्य को लेकर बड़ा सतर्क रहा है। तभी इसके लिए अंग्रेज़ी में दो ही शब्द हैं वैल्यू और प्राइस। लेकिन अपने यहां इसके लिए कम से कम चार शब्द हैं दाम, कीमत, मूल्य और भाव। मूल्य का थोड़ा व्यापक और सकारात्मक अर्थ है। उसका इस्तेमाल जीवन मूल्यों के संदर्भ में भी किया जाता है। भाव बाज़ार तय करता है, जबकि कीमत और दाम में हम मोलतोल कर सकते हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

रुपया, सोना और जमीन-जायदाद में जो भी लक्ष्मी बसती हैं, वे मूल्य के हिसाब से बदलती रहती हैं। दिवाली से दिवाली तक सोने के दाम 11.61% बढ़े, लेकिन पांच साल में मात्र 0.35% बढ़े हैं। जमीन-जायदाद में मांग न निकलने से मामला ठंडा है। सेंसेक्स साल भर में 8.68% और पांच साल में 60.37% बढ़ा है। लेकिन आज तथास्तु में हम जिस कंपनी की चर्चा करने जा रहे हैं, उसका शेयर पांच साल में 175.27% बढ़ा है…औरऔर भी

शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो गांठ बांध लें कि आप किसी शेयर नहीं, बल्कि कंपनी में निवेश कर रहे हैं। साथ ही यह निवेश इसलिए है ताकि आपकी बचत को मुद्रास्फीति खोखला न कर सके। नौकरीपेशा लोग मुद्रास्फीति की मार सहने को अभिशप्त हैं। चूंकि कंपनियां अपने धंधे से बराबर मुद्रास्फीति को मात देती रहती हैं, इसलिए हम उनके साथ अपनी बचत का अंश नत्थी कर देते हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी