मर्क लिमिटेड (बीएसई कोड-500126) का नाम पहले ई. मर्क हुआ करता था। यह बीएसई के साथ-साथ एनएसई में भी लिस्टेड है। फार्मा और केमिकल उद्योग की बहुराष्ट्रीय कंपनी है। इस समूह की मौजूदगी दुनिया के 64 देशों में है। मूल कंपनी जर्मनी की है जिसने सारे यूरोपीय संकट के बीच भी जून 2010 की तिमाही में 18.34 करोड़ यूरो का शुद्ध लाभ कमाया है जो पिछले साल की समान अवधि के शुद्ध लाभ 10.85 करोड़ यूरो सेऔरऔर भी

देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की पहली तिमाही के नतीजे उम्मीद से थोड़े बेहतर रहे हैं। विश्लेषकों ने जून में खत्म तिमाही में शुद्ध लाभ का अनुमान 4830 करोड़ रुपए लगाया था, लेकिन कंपनी ने 4851 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के शुद्ध लाभ 3666 करोड़ रुपए से 32.32 फीसदी अधिक है। इस दौरान कंपनी का टर्नओवर 32,441 करोड़ रुपए से 88.05 फीसदी बढ़करऔरऔर भी

सरकारी कंपनी पावर ग्रिड कॉरपोरेशन के एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की मंजूरी मिल गई है। यह एफपीओ कंपनी चालू वित्त वर्ष 2010-11 में ही लाएगी। इसके तहत वह 10 फीसदी नए शेयर जारी करेगी, जबकि सरकारी हिस्सेदारी से 10 फीसदी पुराने शेयर बेचे जाएंगे। कंपनी का आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) सितंबर-अक्टूबर 2007 में 52 रुपए प्रति शेयर के मूल्य पर आया था। इस समय उसका शेयर 101.45 रुपए चल रहा हैऔरऔर भी

सी अच्युतन कमिटी की तरफ से पेश किए गए नए टेकओवर कोड को अपनाने में अभी वक्त लगेगा। यह भी संभव है कि पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी 31 अगस्त तक प्रतिक्रियाएं मिलने के बाद इसमें फेरबदल कर दे। लेकिन अगर इसकी मूल सिफारिशों को अपना लिया गया तो इससे देश की कम से कम 76 बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों के विदेशी अधिग्रहण का खतरा बढ़ जाएगा। ब्रोकर फर्म एसएमसी कैपिटल्स के एक अध्ययन के अनुसार बीएसई-500 मेंऔरऔर भी

एक हफ्ते के भीतर ही पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के चेयरमैन सी बी भावे ने अपना वादा पूरा कर दिया और गुरुवार 15 जुलाई से शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था अपना ली गई है। सेबी ने एनएसई और बीएसई के इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट के मुख्य अधिकारियों के नाम भेजे गए सर्कुलर में यह सूचना दी है। अब स्टॉक एक्सचेजों को इसे लागू करने के व्यावहारिक इंतजाम करने हैं। तय यह हुआ हैऔरऔर भी

इनफोसिस टेक्नोलॉजीज जैसी नामी कंपनी को भी छोड़कर जानेवालों की कमी नहीं है। इनफोसिस देश में टीसीएस के बाद दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। वहां काम का माहौल जबरदस्त माना जाता है। कंपनी ने इसी 2 जुलाई को अपनी तीसवीं सालगिरह पर सभी कर्मचारियों को 5.69 लाख शेयर मुफ्त में बांटे हैं। लेकिन इसके बावजूद चालू वित्त वर्ष 2010-11 में अप्रैल-जून की पहली तिमाही में उसे छोड़कर जानेवाले कर्मचारियों की संख्या 15.8 फीसदी बढ़ गई है।औरऔर भी

अमेरिका की प्रमुख दवा कंपनी एबॉट ने भारत की दवा कंपनी पिरामल हेल्थकेयर को 372 करोड़ डॉलर (17,465 करोड़ रुपए) में खरीदने का ऐलान कर दिया है। इस अधिग्रहण से एबॉट भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी बन गई है। अधिग्रहण करार के तहत एबॉट पिरामल हेल्थकेयर को 212 करोड़ डॉलर एकमुश्त देगी और बाकी 160 करोड़ डॉलर 40-40 करोड़ डॉलर की चार सालाना किश्तों में दिए जाएंगे। एबॉट का कहना है कि इस सौदे से उसेऔरऔर भी

सेरा सैनिटरीवेयर आज सुबह से ही गर्दन तानकर बढ़ रहा है। सुबह खुला तो शुक्रवार के बंद भाव 249.95 रुपए से थोड़ा गिरकर 249.50 रुपए पर। लेकिन 10 बजे तक 4 फीसदी बढ़त लेकर 260 रुपए तक जा पहुंचा। असल में आज कंपनी के चौथी तिमाही के नतीजे आनेवाले हैं और उम्मीद है कि उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 32 से 34 रुपए हो जाएगा। अभी 2008-09 के नतीजों के आधार पर कंपनी का ईपीएस 21.15 रुपएऔरऔर भी