मूल्य वो है जो कंपनी के कर्मों से बनता है और भाव वो है जो लोग उसे देते हैं। खरीदने-बेचने वाली शक्तियों के असल संतुलन से ही निकलता है भाव। हो सकता है कि कंपनी बहुत अच्छा काम कर रही हो। उसका धंधा बढ़ रहा हो। लाभप्रदता भी बढ़ रही हो। फिर भी बाजार के लोगों में उसके शेयरों को खरीदने की दिलचस्पी न हो तो उसका भाव दबा ही रहेगा। आप कहेंगे कि अच्छी चीज़ कोऔरऔर भी

लोकतंत्र कोई धर्म या पंथ नहीं, जहां सब कुछ आस्था व भावना से तय होता है। यहां अगर कोई भावनाओं को भड़का कर आपको लुभाता है तो समझ लेना चाहिए कि उसकी नीयत में कोई गहरा खोट है।और भीऔर भी

जनता के धन की लूट भ्रष्टाचार है और जनता के धन से सरकार की तिजोरी भरती है जिसे जन-प्रतिनिधि ही लूटते हैं। ऐसे में ये प्रतिनिधि कैसे जनता के सच्चे प्रतिनिधि और ये लूटतंत्र लोकतंत्र कैसे हो सकता है?और भीऔर भी

इधर सरकार मीडिया को लेकर कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो गई है। एक तरफ संचार मंत्री कपिल सिब्बल गूगल से लेकर फेसबुक जैसे इंटरनेट माध्यम को लेकर भिड़े पड़े हैं, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रिंट माध्यम में पेड न्यूज़ के बढ़ते सिलसिले पर चिंता जताई है। एक अन्य विकासक्रम में सरकार ने एनडीटीवी इंडिया से लंबे समय से जुड़े पत्रकार पंकज पचौरी को प्रधानमंत्री कार्यालय में सूचना सलाहकार नियुक्‍त कर दिया है। उनकी नियुक्ति तत्‍कालऔरऔर भी

लोकतंत्र में फैसले लेना बड़ा आसान है क्योंकि बहुमत की राय आसानी से जानी जा सकती है। फैसलों में मुश्किल तब आती है कि कोई सरकार बहुमत के नाम पर अल्पमत का हित सब पर थोपना चाहती है।और भीऔर भी

जिस देश के तीन-चौथाई से ज्यादा लोग दिन में 50 रुपए से कम में गुजारा करते हों, वहां की केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में अगर तीन-चौथाई से ज्यादा मंत्री करोड़पति हों तो एक बात तो साफ है कि यह सरकार सही मायनों में बहुमत का प्रतिनिधित्व नहीं करती। सवाल यह भी है कि केंद्र की कांग्रेस लेकर, उत्तर प्रदेश की बीएसपी, तमिलनाडु की एआईडीएके और गुजरात की बीजेपी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है तो ये पार्टियां देशऔरऔर भी

ऑक्सीजन है, तभी तक जीवन है। इसके बिना शरीर बेजान हो जाता है। इसी तरह जानकारी लोकतंत्र का ऑक्सीजन है। इसके बिना वो भीड़तंत्र है, जिसे कोई भी भावनाओं को भड़का कर हांक सकता है।और भीऔर भी

ब्रिटेन में मौजूदगी रखने वाली भारतीय कंपनियां और भारत में मौजूद ब्रिटिश कंपनियां एक सख्त ब्रिटिश कानून के दायरे में आ गई हैं। यह कानून घूसखोरी को रोकने के लिए बनाया गया है। ब्रिटेन का घूसखोरी अधिनियम-2010 शुक्रवार, 1 जुलाई से प्रभाव में आ गया। इस कानून के तहत घूसखोरी अथवा भ्रष्टाचार में लिप्त पाए लोगों को 10 साल तक की जेल हो सकती है और उनके खिलाफ असीमित जुर्माना लगाया जा सकता है। दोषी पाई गईऔरऔर भी

।।भरत गांधी।। जन लोकपाल यदि वास्तव में जनता का हो तो इसके फायदे सन्देह से परे हैं। लेकिन जन लोकपालवादियों ने अब तक इस पद पर नियुक्ति के जो प्रस्ताव दिए हैं, उसमें यह खतरा है कि प्रस्तावित जन लोकपाल बहुसंख्यक ‘गरीब जन’ द्वारा नियुक्ति नहीं किया जाएगा, अल्पसंख्यक ‘अमीर जन’ द्वारा नियुक्त होगा और अमीर जन की ओर से सरकार, संसद और न्यायपालिका पर शासन करेगा। भ्रष्टाचार में शामिल भारत के किसी भी बडे उद्योगपति कोऔरऔर भी

देश में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाए जाने के साथ ही यह बात भी सामने आई कि भारत राजनीति में महिलाओं की भागीदारी के मामले में अपने पड़ोसी पाकिस्तान व नेपाल समेत बहुत से देशों से पीछे है। इस मामले में यह दुनिया में 98वें नंबर पर है। विश्व में लोकतंत्र शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के काम में लगे अंतरराष्ट्रीय समूह इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन (आईपीयू) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस मामले मेंऔरऔर भी