अपनी राजनीतिक पहुंच और शेयर बाजार के निवेश में बीमा कंपनियों की बड़ी अहमियत के कारण यूलिप पर नियंत्रण में सेबी को पछाड़ने के बाद बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) बड़ी तेजी से यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी) को दुरुस्त बनाने में लग गई है। सोमवार को इरडा के चेयरमैन जे हरिनारायण ने दिल्ली में एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि जल्दी यूलिप के बारे में नए दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे ताकि इसे पॉलिसीधारकों केऔरऔर भी

अब 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में यूलिप विवाद पर सुनवाई का कोई मतलब नहीं रह गया है क्योंकि सरकार ने इससे जुड़े चार के चार कानूनों – आरबीआई एक्ट 1934, इश्योरेंस एक्ट 1938, सेबी एक्ट 1992 और सिक्यूरिटीज कांटैक्ट रेगुलेशन एक्ट 1956 में संशोधन कर दिया है। शुक्रवार 18 जून को देर रात राष्ट्रपति की तरफ से इन संशोधनों को अध्यादेश के रूप में जारी करवा दिया गया है। जब तक संसद के दोनों सदन किसीऔरऔर भी

बीमा नियामक प्राधिकरण, आईआरडीए (इरडा) बीमा उद्योग में व्याप्त मिस-सेलिंग को रोकने के उपाय करने जा रहा है। उसने इसके लिए पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा से संबंधित रेगुलेशन, 2002 में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। इसमें सबसे खास बात यह है कि बीमा कंपनी को अपनी पॉलिसी बेचने से पहले निवेशक को कानूनी भाषा की जटिलता से बाहर निकलकर साफ-साफ बताना होगा कि वह कौन सा उत्पाद खरीदने जा रहा है और उसके क्या फायदे नुकसानऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने भरोसा जताया है कि यूलिप के अधिकार क्षेत्र को लेकर पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी और बीमा नियामक संस्था आईआरडीए (इरडा) के बीच उठा विवाद जल्दी ही सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने एक निजी बिजनेस चैनल के साथ बातचीत में यह विश्वास व्यक्त किया। वित्त मंत्री ने कहा कि मैं जानता हूं कि क्या हो रहा है, मुझे पूरा विश्वास है कि मामले को जल्द सुलझा लिया जाएगा। बता दें कि यूलिप (यूनिटऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने यूलिप विवाद पर पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी द्वारा दायर याचिका पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार और 14 जीवन बीमा कंपनियों को औपचारिक नोटिस जारी कर दिया है। कोर्ट में इस मामले पर आज एकदम थोड़ी देर के लिए सुनवाई हुई। यह सुनवाई जस्टिस सरोश होमी कपाडिया की अध्यक्षता वाली खंडपीठ कर रही है। बता दें कि कल सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि इस विवादऔरऔर भी

पहली जुलाई 2010 के बाद से हर जीवन बीमा कंपनी को यह बताना होगा कि वह अपनी यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (यूलिप) में एजेंट को कितना कमीशन दे रही है। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए ने मंगलवार को दोपहर बाद सभी जीवन बीमा कंपनियों के प्रमुख अधिकारियों (सीईओ) को भेजे गए सर्कुलर में कहा है, “कमीशन का उल्लेख उसी इलस्ट्रेशन में करना होगा जिसे ग्राहक को यूलिप बेचते समय एजेंट द्वारा देना अनिवार्य है।” यह सर्कुलर आईआरडीए केऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी यूलिप के बारे में 14 जीवन बीमा कंपनियों के खिलाफ जारी आदेश पर अमल की राह में कोई अड़चन नहीं आने देना चाहती। इसलिए उसने जिन भी खास-खास राज्यों में इन 14 कंपनियों के मुख्यालय हैं, उनके हाईकोर्ट के पहले से ही कैविएट दाखिल कर दिया है। यह कैविएट एक तरह की आपत्ति सूचना या याचिका है जिसके बाद कोई भी कोर्ट सेबी के आदेश के खिलाफ स्टे ऑर्डर नहीं जारी करऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी की तरफ से 14 जीवन बीमा कंपनियों को कोई भी नया यूलिप प्लान लाने से रोक दिए जाने के बावजूद न तो बीमा क्षेत्र के नियामक आईआरडीए और न ही निजी बीमा कंपनियों में कोई खलबली मची है। आईआरडीए के आला अफसर छुट्टी मना रहे हैं। जीवन बीमा कंपनियों के साझा मंच लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल की तरफ से उसके प्रमुख एस बी माथुर ने इतना भर कहा है कि मौजूदा यूलिपधारकों कोऔरऔर भी

पूंजी बाजार की नियामक संस्था सेबी और बीमा क्षेत्र की नियामक संस्था आईआरडीए में अपने हलके को लेकर तलवारें खिंच चुकी हैं। अभी तक आईआरडीए को यकीन था कि जीवन बीमा कंपनियों की तरफ से जारी बीमा कवर व निवेश पर फायदे का लाभ देनेवाले यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान) पर केवल उसी का नियंत्रण चलेगा। लेकिन शुक्रवार को देर शाम सेबी ने आदेश सुना दिया कि कोई भी बीमा कंपनी बिना उससे रजिस्ट्रेशन लिए न तोऔरऔर भी

जीवन बीमा कंपनियों के यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) पर नियंत्रण का झगड़ा शुक्रवार को अपने चरम पर पहुंच गया, जब सेबी ने साफ-साफ कह दिया कि उसके पास पंजीकरण कराए बगैर कोई बीमा कंपनी यूलिप या ऐसा कोई भी उत्पाद नहीं ला सकती है जिसमें बीमा के अलावा निवेश का भी हिस्सा हो। पूंजी बाजार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत सरन की तरफ से सुनाए गए 11 पेजों केऔरऔर भी