इंद्र देव लगता है इस बार भी एनडीए सरकार पर मेहरबानी नहीं करने जा रहे हैं। बुधवार को मौसम विभाग की तरफ से जारी दक्षिण पश्चिम मानसून के दीर्घकालीन पूर्वानुमानों से यही संकेत मिलता है कि इस साल बारिश सामान्‍य से कुछ कम रहने की आशंका है। पिछले साल मौसम विभाग का शुरुआती अनुमान जुलाई-सितंबर के दौरान 95 प्रतिशत बारिश का था। बाद में इसे घटाकर 87 प्रतिशत किया गया। अंततः वास्तविक बारिश सामान्य की 88 प्रतिशतऔरऔर भी

आफतों को मानसून की तरह मौसम विभाग की भविष्यवाणी की कद्र नहीं। पता नहीं कि कब सिर उठाए चली आएं। आफतें मुंबई की बारिस भी नहीं कि आई और गायब। वे बरसती हैं ऐसी मूसलाधार कि तांता टूटता ही नहीं। लेकिन टूटेंगे हम भी नहीं।और भीऔर भी

शेयरों के भाव किस हद तक ग्लोबल और किस हद तक लोकल कारकों से प्रभावित होते है, इसका तो ठीकठाक कोई पैमाना नहीं है, लेकिन इतना तय है कि आज के जमाने में कंपनियों के धंधे पर दोनों कारकों का भरपूर असर पड़ता है। इसीलिए शायद अंग्रेजी के इन दोनों शब्दों को मिलाकर नया शब्द ‘ग्लोकल’ चला दिया गया है। ये ग्लोकल असर कैसे कंपनी को कस लेते हैं, इसका एक उदाहरण है भारत की सबसे बड़ीऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर को धंधे के नए अवसर में तब्दील किया जा सकता है। यह कहना है दुनिया की जानीमानी सलाहकार फर्म केपीएमजी की ताजा रिपोर्ट का। राजधानी दिल्ली में मंगलवार को आयोजित नौवें ज्ञान शताब्दी सम्मेलन (नॉलेज मिलेमियम समिट) में पेश इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे कुछ कंपनियों ने खाद्य वस्तुओं को प्रभावित करनेवाली मांग-आपूर्ति की चुनौती को नवोन्मेष के जरिए बिजनेस का मौका बना लिया है। इनके बिजनेस म़ॉडल सेऔरऔर भी

हमने पिछले हफ्ते जो भी कहा, सच हुआ। पूरा बाजार अक्टूबर को अशुभ महीना बताता रहा। कहता रहा कि निफ्टी 3700 तक गिर जाएगा। लेकिन हमने कहा कि यह राहत का महीना है और निफ्टी 5300 तक चला जाएगा। फिलहाल हम 5140 तक पहुंच चुके हैं और कल सोमवार को बाजार के अच्छी बढ़त के साथ खुलने की उम्मीद है। हो सकता है बाजार 5200 के ऊपर खुले। मान लीजिए कि अब हमारा 5300 का लक्ष्य ज्यादाऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति का बढ़ना और हमारे वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का चिंतित होना लगता है जैसे अब अनुष्ठान बन गया है। 24 सितंबर को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 9.41 फीसदी पर पहुंच गई। इसके जारी होने के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि यह निश्चित तौर पर चिंता का कारण है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक फल, सब्जी, दूध व अंडा, मांस-मछली की कीमत में तेजी के चलते 24औरऔर भी

कल बाजार ने ज्यादा गिरावट को संभाल लिया और आज सुबह से बढ़ना शुरू हुआ तो लगातार बढ़ता ही गया। आज निफ्टी 2.81 फीसदी बढ़कर 4971.25 और सेंसेक्स 2.95 फीसदी बढ़कर 16,524.03 पर बंद हुआ। भारतीय शेयर बाजार के इस बर्ताव में जबरदस्त अचंभे का तत्व है जिसे देखने-समझने की जरूरत है। मैं आपको बताता रहा हूं कि अभी के दौर में बाजार का आगे बढ़ना बेहद मुश्किल है क्योंकि दुनिया के बाजारों के साथ ही भारतीयऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने एक बार फिर वही किया। ब्याज दर बढ़ाकर मुद्रास्फीति को थामने का आक्रामक अंदाज बनाए रखा। इससे तो यही लगता है कि मंदड़िए फिर से हमला करने की कोशिश करेंगे क्योंकि पिछले दो दिनों वे अपनी शॉर्ट पोजिशन काट चुके हैं। फिर भी बाजार का मिजाज कुल मिलाकर धीरे-धीरे तेजी का होता जा रहा है। अब तो निफ्टी के 4000 या इससे भी नीचे जाने की भविष्यवाणी करनेवाले एनालिस्ट भी अपनी राय बदलकर गिरनेऔरऔर भी

भारत के फाइनेंस जगत की सबसे बड़ी खबर। लेकिन निकली एकदम ठंडी। पिछली बार 26 जुलाई को अपेक्षा के विपरीत ब्याज दर को 0.50 फीसदी बढ़ाकर सबको चौंका देना एक अपवाद था। अन्यथा रिजर्व बैंक गवर्नर डॉ. दुव्वरि सुब्बाराव का एक खास अंदाज है। वे नीतिगत उपायों से चौंकानेवाला तत्व एकदम खत्म कर देना चाहते हैं। यह देश के केंद्रीय बैंक के कामकाज में पारदर्शिता लाने के उनके प्रयास का हिस्सा है। आज सुबह तक सबको पक्काऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति के दहाई अंक में पहुंचने के बावजूद प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने भरोसा जताया है कि खाद्य उत्पादों की महंगाई दर अच्छे मानसून और बेहतर पैदावार के कारण कम हो जाएगी। परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने गुरुवार को कहा, “उम्मीद है कि मुद्रास्फीति आने वाले सप्ताहों में घटेगी क्योंकि मानसून अच्छा रहा है। हम मानसून के अंत के करीब पहुंच चुके है और संकेत मिल रहे हैं कि इस साल पैदावार अच्छी रहेगी।”औरऔर भी