फीके फंडामेंटल, फिर भी चंगा बाजार

हमने पिछले हफ्ते जो भी कहा, सच हुआ। पूरा बाजार अक्टूबर को अशुभ महीना बताता रहा। कहता रहा कि निफ्टी 3700 तक गिर जाएगा। लेकिन हमने कहा कि यह राहत का महीना है और निफ्टी 5300 तक चला जाएगा। फिलहाल हम 5140 तक पहुंच चुके हैं और कल सोमवार को बाजार के अच्छी बढ़त के साथ खुलने की उम्मीद है। हो सकता है बाजार 5200 के ऊपर खुले। मान लीजिए कि अब हमारा 5300 का लक्ष्य ज्यादा दूर नहीं है।

ऐसा क्यों हुआ? क्या आपको लगता है कि बाजार के फंडामेंटल या मूलभूत पहलू रातोंरात बदल गए? बल्कि हमारा तो मानना है कि फंडोमेंटल मजबूत होने के बजाय कमजोर ही हुए हैं जिनसे नहीं लगता कि ऐसी तेजी आनी भी चाहिए थी। यहां हम हर बढ़त पर बाजार पर हमला करनेवाले मंदड़ियों से इत्तेफाक रखते हैं। वे 5300 पर पहुंचने पर अपना हमला और तेज कर सकते हैं।

मंदड़ियों का खेमा दावा करता है कि सरकार हर मोर्चे पर फेल हो गई है, भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, सरकार तौहीन से बचने पर सारी ऊर्जा लगा रही है और हो सकता है कि मध्यावधि चुनावों की नौबत आए। उनका यह भी कहना है कि अर्थव्यवस्था में इस कदर धीमापन आ चुका है कि हर दिन किसी न किसी बड़ी कंपनी को डाउनग्रेड किया जा रहा है। इस तरह बाजार भावों का लक्ष्य घटना ट्रेडरों को शॉर्ट सेंलिंग के लिए उकसा रहा है। कंपनियां ऋण अदायगी में चूक कर रही हैं। ऊपर से विदेशी मुद्रा परिवर्तीय बाडों (एफसीसीबी) को शेयरों में बदलना उनकी मुसीबत बढ़ा दे रहा है। यहां तक कि प्रवर्तकों को खुले बाजार में अपने शेयर बेचने पड़ रहे हैं। यह सब तर्क अपनी जगह सही हैं। लेकिन केवल दो बातें मंदडियों के खिलाफ जा रही हैं और वो हैं शेयरों के स्वामित्व का मौजूदा पैटर्न और डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट का अभाव।

अभी बाजार में निवेश का पैटर्न इस तरह सिकुड़ा हुआ है कि हमें नहीं लगता कि सेंसेक्स के 13,000-14,000 तक गिर जाने की मंदड़ियों की मंशा पूरी हो सकती है। अंग्रेजी में एक कहावत है जिसका अर्थ है कि जब आप अपनी सारी चीजें बेच देते हो तो आपको तन ढंकने के लिए भी पड़ोसी से उधार लेना पड़ता है। दरअसल, एफआईआई ने पी-नोट्स में ऐसा ही किया है। फिलहाल वे इस हाल में हैं कि शॉर्ट कवरिंग तभी कर सकते हैं कि जब हमारी पूंजी नियामक संस्था, सेबी उन्हें पी-नोट में किए गए सभी शॉर्ट सौदों को काटने का निर्देश देगी।

दूसरी वजह, फिजिकल सेटलमेंट के बारे में हम बार-बार लिख चुके हैं। हम आमतौर पर ए ग्रुप के स्टॉक्स पर कितना रिटर्न पाना चाहते हैं? मेरे ख्याल से ज्यादा से ज्यादा सालाना 25 से 30 फीसदी। म्यूचुअल फंड हमें 15 फीसदी का रिटर्न दे देते हैं और हम इतने पर खुश रहते हैं। लेकिन ऑपरेटर हर महीने मजे से 20 फीसदी के ऊपर कमा रहे हैं जो हमारे पूरे साल भर के रिटर्न के करीब है। ऐसा केवल इसलिए हो पाता है कि वे कैश लेकर डेरिवेटिव सौदों को रफा-दफा करते हैं। यह इकलौती वजह है जिसके चलते एनएसई फिजिकल सेटलमेंट को लागू नहीं कर रहा है। कार्टेल इस स्थिति का फायदा उठाते हैं और शेयरों के भाव को जबरन एक दिशा में, उसमें पब्लिक, एचएनआई व डीआईआई की पोजिशन के हिसाब से ऊपर या नीचे ले जाते हैं। सितंबर में बहुत से स्टॉक्स के साथ कोई गड़बड़ नहीं थी। फिर भी उन्हें पीटकर 52 हफ्तों के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा दिया गया। कई स्टॉक्स महज एक महीने में 35 फीसदी तक गिर गए हैं। लेकिन अब उनकी दिशा बदल रही है और वे अक्टूबर के सेटलमेंट में 30 फीसदी बढ़ सकते हैं।

फिजिकल सेटलमेंट के अभाव में हो रहे इस खेल ने लाखों अमीर निवेशकों पर चोट की है, ट्रेडरों को चपत लगाई है और रिटेल निवेशकों को कंगाल बना दिया है। लेकिन ऑपरेटरों के हितों को बचाने के लिए एनएसई हाथ पर हाथ धरे बैठा है। उसका कहना है कि वह तो बाजार के लोगों की मांग को पूरा करने के लिए ऐसा कर रहा था। फिजिकल सेटलमेंट आ गया तो कैश बाजार पर दबाव बढ़ जाएगा और निहित स्वार्थ वाले लोग जबरदस्ती शेयरों की जमाखोरी कर सकते हैं।

इधर वित्त मंत्रालय के कुछ लोगों से हुई हमारी बातचीत से संकेत मिले हैं कि सरकार एसटीटी (सिक्यीरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स) को कम करने के साथ ही ऐसी पहल करने जा रही है जिससे शेयर बाजार में चहक लौट आएगी। खैर, हमें लगता है कि बाजार को फिर से गिराकर 5000 तक ले जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। फिर भी 5300 का लक्ष्य हासिल हो सकता है। निफ्टी के 4700/4800 के स्तर पर कुछ अघोषित खरीदार ऐसे हैं जिनका मानना है कि मंदड़ियों की हर कोशिश बाजार को इससे नीचे तोड़कर ले जाने में कामयाब नहीं हुई। इसलिए यह स्तर निफ्टी में समर्थन का तगड़ा स्तर बन गया है।

दिसंबर 2011 तक पिछले 15 महीनों से बाजार में चल रही गिरावट का दौर खत्म हो जाएगा। हमारी मजबूत धारणा है कि अगले दो महीने में बाजार खुद को जमाएगा। इन दो महीनों में बाजार एफआईआई या मंदड़ियों की तरफ से की गई सारी बिकवाली को सोख लेगा। तब तक मुद्रास्फीति में सुधार आने लगेगा और ब्याज दरों को बढ़ाने का सिलसिला रुक जाएगा। अच्छे मानसून का असर बाजार पर खाद्य मुद्रास्फीति में कमी के रूप में दिखने लगेगा और हम सेंसेक्स के 22,000 पर पहुंचने की मंजिल की तरफ कूच कर देंगे। अगले छह महीने में यह मंजिल हासिल हो जाएगी।

अंत में, एक बात और। रिलायंस इंडस्ट्रीज के बारे में हमने गुरुवार को बताया था कि सितंबर तिमाही में उसकी आय 38 फीसदी और शुद्ध लाभ 17 फीसदी बढ़ जाएगा। शनिवार को घोषित नतीजों के मुताबिक उसकी आय 34.7 फीसदी बढ़कर 80,790 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 15.8 फीसदी बढ़कर 5703 करोड़ रुपए हो गया है। मेरा ख्याल है कि इतनी भूल-चूक लेनी-देनी चलती है। नहीं!! तो क्या गुरुजी, इनसाइडर ट्रेडिंग में फंसवाने का इरादा है?

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