यूपीए सरकार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बुनकरों के पैकेज घोषित कर रही है। लेकिन उसे यह नहीं पता कि किस राज्य में हरकरघा उत्पादों की बिक्री व निर्यात कितना है। सरकार के पास इसका कोई राज्यवार ब्यौरा नहीं है। यह बात सोमवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कपड़ा राज्‍य मंत्री पनबाका लक्ष्‍मी ने स्वीकार की। बता दें कि रविवार को ही कैबिनेट ने बुनकरों के लिए 2350 करोड़ रुपए काऔरऔर भी

देश के हथकरघा क्षेत्र में लगे बुनकरों की संख्या पिछले 15 साल में करीब 33 फीसदी घटकर 43.3 लाख पर आ गई है। कामगारों के शहरी इलाकों में पलायन कर जाने के चलते संख्या में यह कमी आई। 1995 में कराई गई जनगणना के समय देश में हथकरघा बुनकरों की तादाद 65 लाख थी। हथकरघा विकास आयुक्त आर एन चौबे के मुताबिक, ‘‘बुनकरों की संख्या में इसलिए गिरावट आई है क्योंकि इन बुनकरों की अगली पीढ़ी उच्चऔरऔर भी

यह विनोबा भावे द्वारा ऋगवेद के अध्ययन के बाद लिखे गए ऋगवेद सार: का एक मंत्र है। इसका शाब्दिक अर्थ है – लड़के के लिए माताएं वस्त्र बुन रही हैं। पूरी व्याख्या विनोबा जी ने कुछ इस तरह लिखी है। प्राचीन काल में पुरुष खेती का काम करता था और स्त्री घर में बुनती थी। आज पुरुष बुनते हैं और स्त्रियां कांडी भरने का काम करती हैं। यानी, स्त्रियों का स्वतंत्र धंधा चला गया। इस तरह एक-एकऔरऔर भी