रमेश दामाणी बड़े ब्रोकर हैं। बाजार के उस्ताद हैं, खिलाड़ी हैं। 13 अप्रैल को एक चैट में उनसे पूछा गया कि सागर सीमेंट क्या 1-2 साल के लिए मल्टीबैगर (कई गुना रिटर्न देनेवाला) स्टॉक हो सकता है तो उन्होंने यह कहते इसमें खरीद की सलाह थी कि यह बहुत अच्छी तरह चलाई जा रही कंपनी है और इसके पीछे अच्छे उद्यमी हैं। उस दिन इसका बंद भाव बीएसई में 187.65 रुपए था। उसके बाद 26 अप्रैल कोऔरऔर भी

केआरबीएल दो भाइयों खुशी राम व बिहारी लाल द्वारा 1889 में ल्यानपुर (अब फैसलाबाद, पाकिस्तान) में बनाई गई कंपनी है। इंडिया गेट बासमती चावल आपने दुकानों में देखा होगा। वो इसी का ब्रांड है। कंपनी खुद को दुनिया का सबसे बड़ी राइस मिलर और बासमती चावल की सबसे बड़ी निर्यातक बताती है। क्रिसिल रिसर्च ने करीब डेढ़ महीने पहले अपनी रिपोर्ट में केआरबीएल का उचित मूल्य 34 रुपए बताया था। लेकिन वह तब भी 24 रुपए परऔरऔर भी

एक हफ्ते के भीतर ही पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के चेयरमैन सी बी भावे ने अपना वादा पूरा कर दिया और गुरुवार 15 जुलाई से शेयरों के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था अपना ली गई है। सेबी ने एनएसई और बीएसई के इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट के मुख्य अधिकारियों के नाम भेजे गए सर्कुलर में यह सूचना दी है। अब स्टॉक एक्सचेजों को इसे लागू करने के व्यावहारिक इंतजाम करने हैं। तय यह हुआ हैऔरऔर भी

बीएएसएफ के बारे में सुबह लिखा और शाम तक वह 6.99 फीसदी बढ़कर 460.85 रुपए पर बंद हुआ। दिन में 10.25 फीसदी बढ़त के साथ ऊपर में 475 रुपए तक भी चला गया था। एकबारगी वोल्यूम भी नौ गुना हो गया। होता है, ऐसा होता है। लेकिन हमें इस चमत्कार में न पड़कर किसी शेयर में निवेश से पहले उस कंपनी की मूलभूत मजबूती देखनी चाहिए। ऐसी ही एक कंपनी है जेके टायर्स। नाम तो आपने हरऔरऔर भी

यूरोप के निवेशक जल्द ही भारतीय शेयरों पर भी दांव लगा सकेंगे। देश का सबसे पुराना शेयर बाजार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) जर्मनी में फ्रैंकफर्ट स्थित डॉयचे बोर्स से बातचीत कर रहा है ताकि वहां बीएसई सेंसेक्स आधारित डेरिवेटिव सौदों की ट्रेडिंग शुरू की जा सके। जर्मन भाषा में बोर्स का मतलब बाजार या एक्सचेंज होता है। बीएसई के एक एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक डॉयचे बोर्स में में सेंसेक्स फ्यूचर्स और सेंसेक्स ऑप्शंस में कारोबार शुरूऔरऔर भी

बीएएसएफ इंडिया रसायन बनानेवाली बहुराष्ट्रीय कंपनी है। इसकी इक्विटी में मूल यूरोपीय समूह बीएएसएफ से जुड़ी पांच कंपनियों की कुल 71.69 फीसदी हिस्सेदारी है। एलआईसी, जीआईसी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस ने इसके कुल 5.30 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं। एफआईआई के पास कंपनी के महज 0.12 फीसदी शेयर हैं। सोमवार को बीएसई में इसके मात्र 14,038 शेयरों में कारोबार हुआ जिसमें से 6481 शेयर (46.17 फीसदी) ही डिलीवरी के लिए थे। एनएसई में भी इसके 17,604 शेयरोंऔरऔर भी

मई का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) बाजार की उम्मीद से कम हैं। फिर भी बाजार में किसी करेक्शन/गिरावट का अंदेशा नहीं है। भरपूर बारिश, अच्छा कर संग्रह, खाद्यान्नों के उत्पादन में बढोतरी, ठोस राजकोषीय मजबूती, बाजार में शेयरों के मालिकाने का स्वरूप और ज्यादा से ज्यादा शेयरों की मात्रा को पचाने की क्षमता… ये सब ऐसे कारक हैं जो सेंसेक्स को 21,000 तक ले जा सकते हैं। आज यह सूचकांक 18,000 अंक के जादुई आंकड़े से ऊपरऔरऔर भी

वर्धमान एक्रिलिक्स बीएसई में नहीं, एनएसई में लिस्टेड है। शुक्रवार को इसका 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर 5.22 फीसदी की बढ़त के साथ 14.10 रुपए पर बंद हुआ है और इसमें अच्छा-खासा वोल्यूम हुआ है। 9.46 लाख शेयरों के सौदे हुए, जबकि इससे पिछले दिन 8 जुलाई को सौदों की मात्रा 3.46 लाख थी। इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 16.25 और न्यूनतम स्तर 8.45 रुपए का है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 270.48 करोड़औरऔर भी

नहीं पता कि इस कंपनी का शेयर घटेगा कि बढ़ेगा, और बढ़ेगा तो कब और कितना। लेकिन इतना पता है कि खरीदारी और लेनदेन के तेजी से बदलते इस दौर में हैदराबाद की यह कंपनी जरूर बढ़ती जाएगी। बॉरट्रॉनिक्स छोटे-बड़े सामानों से लेकर तमाम तरह के कार्डों में वो चुम्बकीय पट्टी लगाने के सोल्यूशंस उपलब्ध कराती है जिनसे मशीन के संपर्क में आते ही सारी छिपी जानकारियां सामने आ जाती हैं। मॉल बढ़ेगे, संगठित रिटेल का दायराऔरऔर भी

एनएमडीसी (नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) का बड़ा सीधा-सा हिसाब-किताब है। देश की सबसे बड़ी खनन कंपनी है। 90 फीसदी पूंजी सरकार की लगी है। एलआईसी ने 5 फीसदी लगा रखा है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने केवल 0.15 फीसदी लगा रखा है। बाकी अन्य निवेश संस्थाओं और जनता-जनार्दन के पास है। लेकिन इस जनता-जनार्दन के पास इसके केवल 1.18 फीसदी शेयर हैं। यानी, पब्लिक की कंपनी में पब्लिक ही नदारद है! आपको याद होगा कि इस सालऔरऔर भी