थोड़े समय तक शेयर बाज़ार सनकी जैसा अतार्किक बर्ताव कर सकता है और शेयरों के भाव असली मूल्य से दूर पड़े रह सकते हैं। पर, लंबे समय में भाव हमेशा सच्चे मूल्य पर आ जाते हैं। यह बात बेंजामिन ग्राहम ने अस्सी साल पहले 1934 में अपनी किताब ‘सिक्यूरिटी एनालिसिस’ में लिखी थी। वॉरेन बफेट ग्राहम को अपना गुरु मानते हैं। भाव सबको दिखते हैं, असली मूल्य को पकड़ना चुनौती है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

हम अगर शेयर बाज़ार में निवेश करते हैं तो कंपनियों के विकास में हिस्सेदारी करते हैं। आईपीओ के जरिए प्राइमरी बाज़ार में लगाया गया धन बिना किसी ब्याज व देनदारी के सीधे कंपनी को मिल जाता है। ऐसा न हो तो कंपनी के लिए पूंजी की लागत बढ़ जाएगी। सेकेंडरी बाज़ार/स्टॉक एक्सचेंज इस निवेश के रिस्क को संभालने का माध्यम हैं। वो हमें जब चाहें, निकल जाने का मौका देता है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

अच्छी चीज़ों के पीछे दुनिया भागती है। बस, पता नहीं होता कि अच्छी चीजें हैं कौन-सी। पता भी होता है तो भरोसा नहीं होता कि क्या वो चीज़ वाकई अच्छी है। एक छोटी-सी आईटी कंपनी है। टेलिकॉम व हेल्थकेयर उद्योग को सॉफ्टवेयर बेचती है। आपको यकीन नहीं आएगा कि बुधवार को उसके बारे में सुगबुगाहट शुरू हुई और अगले दो दिनों में ही उसका शेयर 22.82% बढ़ चुका है। तथास्तु में इसी कंपनी को पकड़ने की सलाह…औरऔर भी

नामी ब्रोकरेज फर्म है। ईनाम भी बटोरे हैं। पैसे व बुद्धिमत्ता की बात करती है। उसने 26 दिसंबर को नए साल के लिए दस कंपनियां पेश की। अडानी पोर्ट, कैयर्न, एस्कोर्ट्स, क्रॉम्प्टन, एस्सेल प्रोपैक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, पीएनबी, सेसा स्टरलाइट, टोरेंट फार्मा व विप्रो। इनमें से आठ में घाटा है। हमने तब से दो कंपनियां बताईं ल्यूपिन और टेक सोल्यूशंस। दोनों फायदे में हैं। यह है किसी ब्रोकर व निष्पक्ष सलाह का फर्क। अब आज की कंपनी…औरऔर भी

तथास्तु की यह सेवा जब पेड नहीं थी, तब भी हम यहां अच्छी व संभावनामय कंपनियों में निवेश की सलाह देते रहे हैं। ठीक दो साल पहले हमने यहां इनफोसिस में निवेश की सलाह दी थी। तब उसका शेयर 2865 रुपए पर था। अभी वो 3575 की ऊंचाई पर है। दो साल में 33% से ज्यादा बढ़त। यह है अच्छी कंपनियों में सही वक्त पर निवेश का कमाल। आज इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से ही जुड़ी एक स्मॉलकैप कंपनी…औरऔर भी

हालांकि शेयर बाज़ार में निवेश भी एक तरह की ट्रेडिंग है। फर्क बस चंद दिन, महीने और साल का है। फिर भी चूंकि साल का अंत है और तमाम ब्रोकर फर्में 2014 के टॉप-पिक्स जहां-तहां फेंकने लगी हैं तो सोचा कि हम भी आज निवेश की जांच-परख कर लें। आज हम तथास्तु में बताई गई ऐसी पच्चीस कंपनियों की सूची पेश कर रहे हैं जिन्होंने चंद महीनों में औसतन 25% से ज्यादा रिटर्न दिया है। इसमें अधिकतमऔरऔर भी

पौधे ही किसी दिन पेड़ बनते हैं। पर शेयर बाज़ार को यह बात समझ में ही नहीं आती। बड़ी कंपनियों की दशा-दिशा दिखाने वाला बीएसई सेंसेक्स इस साल जनवरी से लेकर अब तक 7.65% बढ़ा है, पर मध्यम कंपनियों से जुड़ा बीएसई मिड कैप सूचकांक 9.66% और छोटी कंपनियों से जुड़ा बीएसई स्मॉल कैप सूचकांक 15.58% गिरा है। सो, मिड और स्मॉल कैप में अभी बढ़ने की काफी गुंजाइश है। तथास्तु में आज एक स्मॉल कैप कंपनी…औरऔर भी

उधर डॉलर का जनक अमेरिकी क्रेद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व घोषणा करता है कि वो जनवरी से सिस्टम में 85 अरब के बजाय 75 अरब डॉलर के ही नोट डालेगा, इधर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफआईआई) भारतीय शेयरों की खरीद घटाने के बजाय बढ़ा देते हैं। बुधवार की घोषणा के अगले दिन गुरुवार को एफआईआई ने हमारे कैश सेगमेंट में 2264.11 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद की। कल शुक्रवार को भी उन्होंने शुद्ध रूप से 990.19 करोड़ रुपए केऔरऔर भी

वजह बाहरी हो या भीतरी, हकीकत यही है कि अपने यहां अभी एक शेयर 52 हफ्ते के शिखर पर है तो आठ तलहटी पर। गिरनेवालों में एसीसी, सेंचुरी प्लाई, ग्रासिम इंडस्ट्रीज़ और अल्ट्राटेक सीमेंट जैसे तमाम दिग्गज शामिल हैं। क्या तलहटी पर पहुंचा हर शेयर खरीदने लायक है? नहीं। बस नाम व दाम के पीछे भागे तो वैल्यू ट्रैप में फंस जाएंगे। हमें चुननी होगी मजबूत आधार और अच्छे प्रबंधन वाली कंपनी। लीजिए, ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी