शेयर बाज़ार में बढ़ा आम का बोलबाला
शेयर बाज़ार का स्वरूप तो दुनिया भर में कमोबेश एक-सा ही रहता है। डिमांड और सप्लाई के संतुलन में बेचने की आतुरता व झोंक ज्यादा बलवान तो शेयर गिरते हैं और खरीदने की आतुरता व झोंक अधिक तो शेयर बढ़ जाते हैं। लेकिन पिछले 10-12 साल में अपने शेयर बाज़ार की संरचना बदल गई है। पहले रिटेल या आम निवेशकों की स्थिति तिनकों या चिड़िया के टूटे पंखों की तरह थी जो हवा के झोंकों में उड़औरऔर भी