माहौल उन्माद का, अलग होगी रणनीति

जो अड़ता है, वो टूट जाता है और जो ढलता है, वही लम्बा चलता है। परिस्थितियां हमेशा एक-सी नहीं होतीं। हमें उनसे निपटने के लिए उनके हिसाब से ढलना पड़ता है। कुदरत का यह नियम शेयर बाज़ार पर ही लागू होता है। बाज़ार के हर चक्र में एक ही रणनीति नहीं चल सकती। इस समय बाज़ार में अनिश्चितता का जो आलम है, उसके हिसाब से हमें अपनी निवेश रणनीति को ढालना होगा। यकीनन, नज़र अल्पकालिक नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रखनी होगी क्योंकि हमें ट्रेडिंग नहीं, लम्बा निवेश करना है। अभी बहुत सारे स्टॉक्स उछले पड़े हैं। हर दिन 100-150 स्टॉक्स 52 हफ्ते का नया शिखर बना रहे हैं। हम इनको पकड़ने के चक्कर में पड़ेगे तो जल जाएंगे। इसलिए तेज़ी के तूफान में कुलांचे मार रहे स्टॉक्स को हमें फिलहाल दूर से सलाम कर देना चाहिए। हमें तो उन्हीं स्टॉक्स को चुनना चाहिए, जो लालच के उन्माद में डूबे इस माहौल में भी किनारे पड़े हैं और जिन पर लोगों की नज़र नहीं जा रही। वैसे किसी भी गिरे हुए स्टॉक को चुन लेना सही नहीं। हमें वही कंपनी चुननी होगी जिसका शेयर भले ही गिरा हो, लेकिन जिसका बिजनेस मॉडल मजबूत हो। आज तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…

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