जिंदल सॉ ओपी जिंदल समूह की अगुआ कंपनी है। तरह-तरह के ट्यूब और पाइप बनाती है। 1984 में उसने शुरुआत सॉ (सबमर्ज्ड आर्क वेल्डेड) पाइप बनाने से की थी। उसके उत्पादों का व्यापक इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन व इंजीनियरिंग के काम में होता है। हाल ही में उसने इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्टेशन व फैब्रिकेशन के लिए जिंदल आईटीएफ नाम से अलग सब्सिडियरी बनाई है। जमा-जमाया धंधा है। प्रबंध दुरुस्त है। लक्ष्य स्पष्ट है। कंपनी बराबर फालतू चीजों से मुक्ति पाकर मूल्य-सृजनऔरऔर भी

हफ्ते भर पहले दीपक कुमार ने अफसोस जताया था कि वे तान्ला सोल्यूशंस (बीएसई कोड-532790) में फंस गए हैं। यह शेयर लगातार गिर रहा है। लेकिन मैंने देखा कि शुक्रवार को एक रुपए अंकित मूल्य का यह शेयर अचानक लगभग 6% बढ़कर 30.35 रुपए पर पहुंच गया है। कंपनी ने ठीक हफ्ते भर पहले 2 अगस्त को घोषित किया था कि उसने एमटीएनएल के 3जी स्पेक्ट्रम में वॉयस मेल सर्विस देने का अनुबंध किया है। तान्ला सोल्यूशंसऔरऔर भी

बड़ी आम-सी बात हो गई है कि जब दुनिया के बाजार बढ़ते हैं तो हमारे बाजार में करेक्शन आ जाता है। भारतीय शेयर बाजार कल काफी बढ़े। लेकिन आज जब दुनिया के बाजार बढ़त पर थे तब हम कमोबेश ठंडे पड़े रहे। यह काफी समय से हो रहा है। हो सकता है कि यह इंट्रा-डे ट्रेडरों को छकाने की चाल हो। व्यापक तौर पर माना जा रहा है कि निफ्टी का 5500 के ऊपर जाना बेहद मुश्किलऔरऔर भी

रमेश दामाणी बड़े ब्रोकर हैं। बाजार के उस्ताद हैं, खिलाड़ी हैं। 13 अप्रैल को एक चैट में उनसे पूछा गया कि सागर सीमेंट क्या 1-2 साल के लिए मल्टीबैगर (कई गुना रिटर्न देनेवाला) स्टॉक हो सकता है तो उन्होंने यह कहते इसमें खरीद की सलाह थी कि यह बहुत अच्छी तरह चलाई जा रही कंपनी है और इसके पीछे अच्छे उद्यमी हैं। उस दिन इसका बंद भाव बीएसई में 187.65 रुपए था। उसके बाद 26 अप्रैल कोऔरऔर भी

म्यूचुअल फंड के हर प्रचार के साथ लिखा या बोला जाता है कि म्यूचुअल फंड बाजार के जोखिम से प्रभावित होते हैं। कृपया निवेश करने से पहले ऑफर दस्तावेज को सावधानी से पढ़ लें। लेकिन अगर आप ऑफर दस्तावेज को पूरी सावधानी पढ़ें तो उसमें बाजार के जोखिम के बारे में एक लाइन भी नहीं रहती। खाली स्कीम का बखान ही बखान होता है। यह कहना है दो दशकों से भी ज्यादा वक्त से पूंजी बाजार केऔरऔर भी

दो साल पुराने वैश्विक वित्तीय संकट के बाद बैंकिंग व फाइनेंस क्षेत्र के निवेश को सबसे ज्यादा जोखिम भरा माना जाने लगा है। लेकिन हमारे म्यूचुअल फंडों ने अपना सबसे ज्यादा निवेश इसी क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में कर रखा है। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को एम्फी (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया) के मिली जानकारी के मुताबिक मई अंत तक  म्यूचुअल फंडों ने अपनी कुल आस्तियों का 14.14 फीसदी हिस्सा बैंकों और 5.01 फीसदीऔरऔर भी

ज्ञान और धन, दोनों ही बिना जोखिम उठाए नहीं मिलते। यह आज का नहीं, बल्कि शाश्वत सच है। संत कबीर भी कह चुके हैं कि जिन ढूंढा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठि; मैं बपुरा बूड़न डरा, रहा किनारे बैठि।और भीऔर भी

आजकल तो जिस भी आर्थिक फोरम या उद्योग के सेमिनार में जाओ, वहां एसएमई (लघु व मध्यम उद्योग) का नाम जरूर सुनने को मिल जाता है। यह क्षेत्र पिछली मंदी से बुरी तरह चोट खाने के बाद पटरी पर लौटने की पुरजोर कोशिश में लगा है। कुछ को फाइनेंस समय पर मिल जा रहा है, दूसरों से बढ़ी-चढ़ी ब्याज ली जा रही है तो बाकी तय नहीं कर पा रहे हैं कि नई शुरुआत करें या हथियारऔरऔर भी