खरीफ फसल के दौरान 2011-12 (अक्‍तूबर-सितम्‍बर) में चावल की सरकारी खरीद का आंकड़ा एक करोड़ टन का निशान पार कर गया है। खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार 17 नवम्‍बर, बुधवार तक चालू खरीफ सीजन के दौरान विभिन्‍न सरकारी एजेंसियों ने 1,01,04,088 टन चावल की खरीद की। इस मामले में पंजाब सबसे आगे है जहां 76,04,255 टन चावल खरीदा गया। 19,30,703 टन चावल खरीदने के साथ हरियाणा दूसरे नम्‍बर पर है। तीसराऔरऔर भी

सरकारी खरीद एजेंसियों के पास 1 अगस्‍त 2011 तक चावल व गेहूं का कुल भंडार 611.46 लाख टन का था। इसमें से 252.71 लाख टन चावल और 358.75 लाख टन गेहूं है। यह सूचना खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की तरफ से दी गई है। मंत्रालय के अनुसार, 1 अगस्‍त 2011 को चावल की खरीद पिछले खरीफ सीजन के 301.60 लाख टन के मुकाबले 325.99 लाख टन रही है। 2011-12 की रबी फसल के लिए गेहूंऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति 27 अगस्त को खत्म सप्ताह में थोड़ा घटकर 9.55 फीसदी पर आ गई। हालाकि सप्ताह के दौरान दाल और गेहूं को छोड़कर अन्य सभी प्राथमिक खाद्य वस्तुओं के दाम एक साल पहले की तुलना में ऊंचे रहे। इससे पिछले सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 10.05 फीसदी थी जबकि पिछले साल 2010 के इसी सप्ताह में यह 14.76 फीसदी थी। असल में कुछ सप्ताह तक नरम रहने के बाद 20 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्यऔरऔर भी

ग्लोबीकरण का शोर ज्यादा, सच्चाई कम है। अपना देश छोड़कर बाहर पढ़ने जानेवाले छात्रों की संख्या मात्र दो फीसदी है। अपनी मातृभूमि से अलग रहनेवाले लोगों की संख्या मात्र तीन फीसदी है। सीमाओं से बाहर व्यापार के लिए जानेवाले चावल की मात्रा केवल 7 फीसदी है। एस एंड पी 500 सूचकांक में शामिल कंपनियों के निदेशकों में विदेशियों की संख्या महज 7 फीसदी है। दुनिया के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का केवल 20 फीसदी हिस्सा निर्यात सेऔरऔर भी

एक तरफ यूपीए सरकार खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सभी को आवश्यक अनाज देने का हल्ला मचाए हुए है, वहीं कुछ अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) भी इसी तरह की मुहिम से अपना आधार व स्वीकृति बनाने में जुट गए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय नामी एनजीओ ‘ऑक्सफैम’ ने भूख-मुक्त भारत के लिए पटना सहित देश के अन्य पांच शहरों से मंगलवार को एक व्यापक अभियान शुरू किया। ऑक्सफैम के क्षेत्रीय प्रबंधक प्रवींद कुमार प्रवीण ने पटना मेंऔरऔर भी

फल, अनाज और प्रोटीन आधारित खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से 14 मई को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.55 फीसदी पर पहुंच गई। विशेषज्ञों ने आगाह किया कि हाल ही में पेट्रोल के दामों में की गई बढ़ोतरी से खाद्य वस्तुओं की कीमतें और बढ़ सकती है। खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी के साथ ही विनिर्मित वस्तुओं के दाम बढ़ने से रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अगले महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा मेंऔरऔर भी

खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति की दर 23 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में घटकर 8.53 फीसदी पर आ गई। लेकिन ईंधन व बिजली का सूचकांक इसी दौरान 13.53 फीसदी बढ़ गया। नतीजतन प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई दर दहाई अंक में 12.11 फीसदी पर डटी हुई है। बता दें कि थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं का भार 14.34 फीसदी और ईंघन व बिजली का 14.91 फीसदी है। वैसे, तुलनात्मक रूप से देखें तो प्राथमिक वस्तुओं की महंगाईऔरऔर भी

अप्रैल के पहले हफ्ते से गेहूं की सरकारी खरीद चालू है। दिखाने के लिए सरकारी खरीद के लंबे-चौड़े लक्ष्य तय किए गए हैं। लेकिन सरकार इस दिशा में कुछ खास करने नहीं जा रही। गेहूं की सरकारी खरीद में एफसीआई समेत अन्य सरकारी एजेंसियां ढीला रवैया अपनाएंगी। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड समेत लगभग एक दर्जन राज्यों में एफसीआई गेहूं खरीद से दूर ही रहने वाली है। ये राज्य केंद्रीय पूल वाली खरीद में नहीं आते हैं।औरऔर भी

देश की खाद्यान्न सुरक्षा के लिए सरकार के पास न तो गोदाम हैं और न ही भंडारण क्षमता बढ़ाने की कोई पुख्ता योजना। भंडारण की किल्लत से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) मुश्किलों का सामना कर रहा है। हर साल खुले में रखा करोड़ों का अनाज सड़ रहा है। इसके लिए सरकार अदालत की फटकार से लेकर संसद में फजीहत झेल चुकी है। लेकिन पिछले दो सालों से सरकार भंडारण क्षमता में 1.50 करोड़ टन की वृद्धि काऔरऔर भी

गेहूं की सरकारी खरीद और इसकी बर्बादी की तैयारी कर ली गई है। पहले से ही इफरात पुराने अनाज से भरे गोदाम एफसीआई की सांसत बढ़ाने वाले हैं। गेहूं की नई फसल के भंडारण के लिए गोदामों की भारी कमी है। रबी फसलों की बंपर पैदावार को देखकर खुश होने की जगह सरकारी एजेंसी एफसीआई के होश उड़ गये हैं। सुप्रीम कोर्ट से फजीहत झेलने के बावजूद खाद्य मंत्रालय ने पिछले दो सालों में मुट्ठी भर अनाजऔरऔर भी