कल एक प्रोफेशनल ट्रेडर से मिला। उनका कहना था कि पिछले छह सालों के सफल करिअर में उनका औसत स्ट्राइक रेट 55-65% तक रहा है। यह अपने-आप में एक मानक है। लेकिन वे हर सौदे में 3% कमाने की गुंजाइश और 1% ही गंवाने की गुंजाइश लेकर चलते हैं। अगर महीने के दस सौदों में से पांच गलत और पांच सही निकले तो उनका घाटा 5% होता है, जबकि फायदा 15% होता है। अब देखें आज काऔरऔर भी

शेयर बाज़ार में हर खरीदनेवाले के सामने एक बेचनेवाला होता है। तभी सौदा होता है, लिक्विडिटी आती है। पहला सोचता है कि आगे बढ़ेगा तो अभी खरीद लो। दूसरा सोचता है कि आगे गिरेगा तो अभी बेच डालो। हेड या टेल। उछालने पर दो में से एक ही आएगा। प्रायिकता 50-50% है तो क्या ट्रेडिंग सिक्का उछालने जैसा खेल है? नहीं। यह इंसानी अपेक्षाओं का खेल है। प्रायिकता 75-25% भी हो सकती है। देखते हैं आज काऔरऔर भी

इंसान की फितरत है कि वो हमेशा सही होना चाहता है। गलत होने से घनघोर घृणा करता है। लेकिन यह फितरत ट्रेडिंग और निवेश की दुनिया में नहीं चलती। यहां का अकाट्य सत्य है कि नुकसान हर किसी को उठाना पड़ेगा। चार ही बातें हो सकती हैं: बड़ा लाभ, छोटा लाभ, बड़ा नुकसान, छोटा नुकसान। इसमें हमें बस बड़े नुकसान से बचने का तरीका खोजना है। बाकी तो वक्त का फेरा है। उतरते हैं आज के मैदानऔरऔर भी

एक तरफ वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पिछले शुक्रवार को पेश बजट में पेट्रोलियम सब्सिडी को 25,000 करोड़ रुपए घटाकर डीजल के दाम बढ़ाने का इरादा साफ-साफ जाहिर कर दिया था। वहीं दूसरी तरफ इस शुक्रवार को हमारे पेट्रोलियम मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने दावा किया कि सरकार का कोई इरादा डीजल को मूल्य नियंत्रण व्यवस्था से बाहर निकालने का नहीं है। रेड्डी ने राजधानी दिल्ली में सातवें एशियाई गैस भागीदारी सम्मेलन में संवाददाताओं से अगल सेऔरऔर भी

किंगफिशर एयरलाइंस के खिलाफ उसके बकाया करों को लेकर मुकदमा दायर किया जा सकता है और संबंधित लोगों को जेल हो सकती है। अब इस संकटग्रस्त एयरलाइंस को बचाने का जिम्मा इसके चेयरमैन विजय माल्या का है। नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान यह बयान दिया। जहां अजित सिंह हफ्ते-दो हफ्ते पहले तक किंगफिशर एयरलाइंस को बंद न होने देने की बात कर रहे थे, वहीं अब उनका कहना हैऔरऔर भी

देश की तेल मार्केटिंग कंपनियों की अंडर-रिकवरी दिसंबर तिमाही में लगभग 34,000 करोड़ रुपए की हो सकती है। इसमें से सबसे ज्यादा करीब 19,000 करोड़ की अंडर-रिकवरी इंडियन ऑयल की होगी। यह आंकड़े इंडियन ऑयल के वित्त निदेशक पी के गोयल ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में पेश किए। इस खबर के आने के बाद सभी तेल कंपनियों के शेयरों के भाव घट गए। बता दें कि सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां – इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियमऔरऔर भी

भारतीय रेल के जिन जनरल डिब्बों और लोकल उपनगरीय ट्रेनों में देश के बूढ़े, बच्चे, महिलाएं और युवा जानवरों की तरह सफर करते हैं, सरकार का मानना है कि उससे उसे सबसे ज्यादा घाटा हो रहा है और इनके किरायों में वृद्धि करना अब अपरिहार्य हो गया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य (ट्रैफिक) वीनू एन माथुर का कहना है यात्री किरायों को बढ़ाए बगैर रेलवे के घाटे को संभालऔरऔर भी

हमारी राजनीतिक पार्टियां इस कदर अंधी हैं कि उन्हें दिखाई नहीं देता कि इस साल केवल जुलाई-सितंबर की तिमाही में ही सरकारी तेल कंपनियों को 14,079.30 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। बुधवार को इंडियन ऑयल ने सितंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए तो पता चला कि बिक्री साल भर पहले की तुलना में 15.81 फीसदी बढ़कर 89145.55 करोड़ रुपए हो जाने के बावजूद उसे 7485.55 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा है। इससे पहले दो अन्यऔरऔर भी

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया में विनिवेश की संभावनाओं से इनकार किया है और कहा है कि धन की तंगी से जूझ रही इस कंपनी को घाटे से उबारने का प्रयास किया जा रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्री व्यालार रवि ने गुरुवार को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर कहा, “एयर इंडिया में विनिवेश की कोई योजना नहीं है और न ही निकट भविष्य में कंपनी का कोई प्रारम्भिक पब्लिक इश्यू (आईपीओ)औरऔर भी

आप से यह साझा करने में मुझे कोई हर्ज नहीं लगता कि मैं भी एक छोटा निवेशक हूं। साल 2005 से निवेश करके सीखने-समझने की कोशिश में लगा हूं। हमेशा समझदारी से, पढ़-लिखकर निवेश करता हूं। खुद के फैसले पर कमाया है। औरों के कहने पर घाटा खाया है। पहले बड़े नामों पर भरोसा करता था। अब नहीं करता क्योंकि दूध का जला छाछ भी फूंककर पीता है। इकनॉमिक्स टाइम्स की इनवेस्टर गाइड में पहले एक इनसाइडरऔरऔर भी