ट्रेडरों से लेकर निवेशक तक सभी यूरो, हंगरी, ग्रीस और पिग्स (पुर्तगाल, आयरलैंड, ग्रीस व स्पेन का संक्षिप्त नाम) का हल्ला मचा रहे थे। लेकिन बाजार ने उन्हें ठेंगा दिखा दिया, गलत साबित कर दिया। लेहमान के समय यही लोग कार्ड घोटाले की बात कर रहे थे। उसके बाद इन पर मुद्रास्फीति और ब्याज दरों का भूत सवार हो गया। लेकिन क्या आज सचमुच कोई मुद्रास्फीति और ब्याज दरों की बात कर रहा है? बाजार को डरानेऔरऔर भी

ऋण संकट से जूझ रहा ग्रीस साल 2013 इससे निजात पा लेगा और उनकी राजकोषीय व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी। वह यूरोप की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से पहले ऐसा करने में कामयाब होगा। दूसरी तरफ जापान में 2084 तक और इटली में 2060 तक सरकारी ऋण बड़ी समस्या बना रहेगा। यह निष्कर्ष है स्विटजरलैंड के मशहूर बिजनेस स्कूल आईएमडी की तरफ से आज, बुधवार को जारी की गई अध्ययन रिपोर्ट का। रिपोर्ट का आकलन है कि अमेरिका 2033औरऔर भी

ऋण संकट में फंसे यूरोपीय संघ की आर्थिक वृद्धि दर चालू साल 2010 की पहली तिमाही में 0. 2 फीसदी रही है। इसके साथ ही स्पेन लगभग दो साल बाद मंदी से बाहर आ गया है। यूरो जोन में 16 ऐसे देश आते हैं, जिन्होंने एकल मुद्रा के रूप में यूरो को अपना रखा है। पिछले साल की चौथी तिमाही में यूरो जोन की आर्थिक वृद्धि दर 0. 3 फीसदी रही थी। आर्थिक विकास दर के जनवरी-मार्चऔरऔर भी

यूरोप में ग्रीस, पुर्तगाल, इटली, आयरलैंड व स्पेन जैसे देशों की सरकारों को दीवालिया होने से बचाने के लिए यूरोपीय संघ ने नई पहल की है। इसके तहत करीब 750 अरब यूरो का राहत पैकेज तैयार किया गया है। लेकिन इसके साथ शर्त रखी गई है कि इस सरकारों को अपने खर्चों में कटौती करनी होगी, मितव्ययी बनना होगा। इस पैकेज में 60 अरब यूरो का योगदान यूरोपीय आयोग की ओर से किया जाएगा। इसके अलावा आईएमएफऔरऔर भी

प्रो. माइकल हडसन ग्रीस सरकार का ऋण यूरोपीय ऋणों की लड़ी की वह पहली कड़ी है जो फटने को तैयार है। सोवियत संघ के टूटने से बने देशों और आइसलैंड के गिरवी ऋण इससे भी ज्यादा विस्फोटक हैं। ये सभी देश यूरो ज़ोन में नहीं आते, लेकिन इसमें से ज्यादातर के ऋण यूरो मुद्रा में हैं। मसलन, लात्विया के 87 फीसदी ऋण यूरो या अन्य विदेशी मुद्राओं में हैं। उसको ये ऋण स्वीडन के बैंकों ने दिएऔरऔर भी