देश में पिछले दस सालों में 22,135 करोड़ रुपए के फसल बीमा दावों का निपटान किया गया है। इससे 4.86 करोड़ किसानों को लाभ मिला है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने 19 जनवरी 2012 तक उपबल्ध जानकारी के आधार पर बताया है कि फसल बीमा दावों में 4099 करोड़ रुपए के साथ आंध्र प्रदेश पहले नंबर पर रहा। इसके बाद गुजरात (3917 करोड़ रुपए), राजस्थान (2621 करोड़ रुपए), महाराष्ट्र (1873 करोड़ रुपए), बिहार (1794 करोड़ रुपए) और कर्नाटकऔरऔर भी

कृषि मंत्रालय की तरफ से दी गई ताजा जानकारी के मुताबिक अभी तक रबी सीजन में कुल 290.67 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई कर दी गई है। पिछले साल इसी तिथि तक कुल 288.38 लाख क्षेत्र में गेहूं की बुआई की गई थी। पिछले साल की तुलना में इस साल यह कुल 2.29 लाख हेक्‍टेयर अधिक है। मध्‍यप्रदेश के 4.79 लाख हेक्‍टेयर, राजस्‍थान के 3.11 लाख हेक्‍टेयर, झारखंड के 0.58 लाख हेक्‍टेयर और छत्‍तीसगढ़ केऔरऔर भी

केंद्र सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ (नेशनल कंज्यूमर्स को-ऑपरेटिव फेडरेशन) से कहा है कि वे प्‍याज की कीमतों को नि‍यंत्रि‍त करने के लि‍ए फौरन बाजार में हस्‍तक्षेप करें। खाद्य राज्यमंत्री के वी थॉमस का निर्देश है कि दोनों एजेंसि‍यों के बि‍क्री केंद्र 20 रुपए कि‍लो की दर से प्याज बेचेंगे। राज्‍य सरकारों से भी आग्रह कि‍या गया है कि‍ वे अपनी एजेंसि‍यों के माध्‍यम से बाजार में इसी तरह के कदम उठाएं। लेकिन मंत्री महोदय को शायदऔरऔर भी

मुद्रास्फीति के बढ़ते जाने की चिंता रिजर्व बैंक पर लगता है कि कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गई है। इसको थामने के लिए उसने ब्याज दरों में सीधे 50 आधार अंक या 0.50 फीसदी की वृद्धि कर दी है। इतनी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। आम राय यही थी कि रिजर्व बैंक ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा सकता है। कुछ लोग तो यहां तक कह रहे थे कि औद्योगिक धीमेपन को देखते हुए शायद इस बारऔरऔर भी

मानसून की समाप्ति और खरीफ फसलों की आमद शुरू होने के बाद नवंबर के पहले हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति दो फीसदी घटकर तीन माह के निचले स्तर 10.30 फीसदी पर आ गई। मुद्रास्फीति में आई इस नरमी से यह उम्मीद बन रही है कि जल्दी ही यह दस फीसदी से नीचे आ जाएगी। बारिश खत्म होने के बाद देश भर की मंडियों में खरीफ फसलों की आवक बढ़ने से खाद्य मुद्रास्फीति में लगातार पांचवें सप्ताह नरमी देखनेऔरऔर भी

महंगाई पर काबू पाने की कीमत सरकार अब किसानों से वसूलने जा रही है। खेती की लागत बढ़ने के बावजूद वह इस बार खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने नहीं जा रही है। धान का मूल्य किसानों को वही मिलेगा जो पिछले साल मिला था। जबकि दलहन के मूल्य में की गई वृद्धि नाकाफी है। जिंस बाजार में दलहन की जो कीमतें हैं, उसके मुकाबले सरकार ने एमएसपी लगभग एक तिहाई रखा है। सरकार केऔरऔर भी