नई पीढ़ी या अमेरिका-यूरोप के लोग फास्टफूड के पीछे भागें तो समझ में आता है। लेकिन हमें भी सब कुछ पकापकाया पाने की चाहत लग गई है। हम भूल जाते हैं कि ये न तो कोई राजा-महाराजों का जमाना है और न ही हम कोई धन्नासेठ हैं कि जिसे भी चाहें, सेवा में लगाकर अपना काम करवा सकते हैं। अपनी बचत को संभालकर निवेश करने की कला हमें खुद ही सीखनी व विकसित करनी होगी। दूसरा कोईऔरऔर भी

कंपनियां भी हमारे-आप जैसे इंसान ही चलाते हैं तो जिस तरह अनागत का भय हमें कभी ज्योतिष तो कभी न्यूमेरोलॉजी के चक्कर में खींच ले जाता है, वैसा बहुत सारी कंपनियों के साथ भी होता है। जैसे, नाम सीधा-सा है एस डी एल्यूमीनियम। इसे पढ़ेंगे और हिंदी में लिखेंगे भी ऐसे, लेकिन अंग्रेजी में इसे कर दिया – Ess Dee Aluminium। खैर, हमें नाम से क्या, हमें तो काम से काम है। एस डी एल्यूमीनियम का शेयरऔरऔर भी

लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) एक ऐसे रहस्यमय ट्रेडर का नाम-पता ढूंढने में लगा हुआ है जिसने उसके गोदामों में जमा कुल 3,55,750 मीट्रिक टन तांबे में से कम से कम 1,77,875 मीट्रिक टन माल खरीद लिया है। यह मात्रा एलएमई के गोदामों में रखे कुल तांबे की 50 फीसदी है। वॉल स्ट्रीट जनरल की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह मात्रा इससे अधिक भी हो सकती है। इसकी कुल कीमत लगभग 150 करोड़ डॉलर बताई जा रही है।औरऔर भी