हिंडाल्को के दिन दुर्दिन, पर कब तक?

नई पीढ़ी या अमेरिका-यूरोप के लोग फास्टफूड के पीछे भागें तो समझ में आता है। लेकिन हमें भी सब कुछ पकापकाया पाने की चाहत लग गई है। हम भूल जाते हैं कि ये न तो कोई राजा-महाराजों का जमाना है और न ही हम कोई धन्नासेठ हैं कि जिसे भी चाहें, सेवा में लगाकर अपना काम करवा सकते हैं। अपनी बचत को संभालकर निवेश करने की कला हमें खुद ही सीखनी व विकसित करनी होगी। दूसरा कोई बता देगा और उसके दम पर हम पैसे बना लेंगे, यह महज खामख्याली है। फिर, यह कला या विज्ञान आसानी से सीखा जा सकता है क्योंकि यहां बहुत कुछ पारदर्शी है, सामने है। नही है तो आ जाएगा। इसे देखने समझने के लिए दस सिर व बीस आंखों की जरूरत नहीं है। बस क्यों और कैसे जैसे सवालों का जवाब खोजते रहने की जरूरत है।

इस समय निफ्टी के 50 में से लगभग आधे शेयर अपना न्यूनतम स्तर थामे हुए हैं। इन्हीं में से एक है आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी हिंडाल्को। यह सेंसेक्स की 30 कंपनियों में भी शुमार है। दुनिया की सबसे बड़ी एल्यूमीनियम रोलिंग कंपनी। कॉपर स्मेल्टिंग में भी बड़ा नाम। 1958 में बनी कंपनी का तंत्र ऑस्ट्रेलिया तक फैला है। कंपनी इतनी स्थापित है कि उसको लेकर किसी फिक्र की जरूरत नहीं। इसका एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर नए साल के पहले ही कारोबारी दिन 2 जनवरी 2012 को 111.25 रुपए की नई तलहटी बना गया। ठीक साल भर आज ही के दिन 6 जनवरी 2011 को यह 251.90 रुपए की चोटी पर था।

इन्हीं तिथियों के बीच सेंसेक्स 20,425.85 की ऊंचाई से 24.8 फीसदी घटकर 15,358.02 के निचले स्तर पर आया है, जबकि हिंडाल्को को 55.8 फीसदी का आघात लगा है। ऐसा क्यों? क्या साल भर में कंपनी की सेहत इतनी खराब हो गई? या, उसकी भावी संभावनाओं को कोई ग्रहण लग गया है? चालू वित्त वर्ष 2011-12 की जून तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 20.51 फीसदी और सितंबर तिमाही में 15.84 फीसदी बढ़ा है। देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) जब लगभग 7 फीसदी की दर से बढ़ रहा हो, तब कंपनी के लाभार्जन का उससे दोगुनी से ज्यादा रफ्तार से बढ़ना स्वस्थ ही माना जाएगा।

फिर भी शेयर गिरा है तो इसलिए कि कंपनी ने 10 नवंबर को सितंबर तिमाही के नतीजों की घोषणा करते वक्त ही कह दिया था कि साल की दूसरी तिमाही दुनिया में छाई अनिश्चितता के चलते शायद उसके लिए अच्छी न रहे। लंदन मेटल एक्सचेंज में दाम घट रहे है और लागत का दबाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि पहली छमाही में संसाधनों को जो संकट था, वह अब हल्का पड़ सकता है। फिर भी कंपनी लाभप्रदता को बनाए रखने की हरचंद कोशिश करेगी। इस स्वीकारोक्ति के बाद उसका शेयर 18 नवंबर को 118.40 रुपए की तलहटी पर पहुंच गया। फिर गिरते-गिरते नए साल में इससे भी नीचे चला गया।

कंपनी अच्छी हो, प्रबंधन मजबूत हो और हमें उस पर भरोसा हो तो कोई भी शेयर अगर 52 हफ्ते की तलहटी पकड़ता है तो मेरी समझ से उसे ले ही लेना चाहिए क्योंकि कंपनी की फिक्र हम से ज्यादा उसके प्रबंधन को होगी और वो सारी प्रतिकूलताओं से उसे निकालकर स्वस्थ धरातल पर खड़ा कर देगा। हां, निवेश के बढ़ने के लिए हमें साल-दो साल इंतजार करना पड़ सकता है। वैसे, बाजार के तमाम अध्ययन बताते हैं कि दस साल में सूचकांक और उनमें शामिल कंपनियों ने अपने शेयरधारकों को 16 से 18 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर का पक्का रिटर्न दिया है।

हिंडाल्को का भविष्य एल्यूमीनियम व कॉपर की स्थिति में आते उतार-चढ़ाव से जुड़ा हुआ है। ताजा स्थिति यह है कि लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में एल्यूमीनियम में ओपन इंटरेस्ट 4 जनवरी को 10 लाख सौदों के पार चला गया जो कई सालों का उच्चतम स्तर है। अधिकांश ट्रेडरों व निर्माताओं ने गिरने के आकलन के साथ इसमें बड़े पैमाने पर शॉर्ट सौदे कर रखे हैं। एलएमई में फिलहाल कॉपर की कीमतें कमोबेश स्थिर हैं। लेकिन दुनिया के पैमाने पर इसकी खपत के बढ़ने की दर उत्पादन की वृद्धि दर से कम है। इस तरह एल्यूमीनियम व कॉपर, दोनों में ही निराशा के स्वर प्रबल है।

लेकिन ध्यान रखें, जिंस की दुनिया में भी एक चक्र चलता है। कोई चक्र स्थाई नहीं होता। हां, भौतिक जिंस का उतार-चढ़ाव उससे संबंधित कंपनियों के शेयरों तक आकर कई गुना हो जाता है। यह जोखिम और फायदा है जिंस आधारित कंपनियों में निवेश का। आप हिंडाल्को के बारे में अपनी रिसर्च कर लें। लेकिन मेरा मानना है कि दो साल की धारणा के साथ मौजूदा स्तरों पर इसे ले लेना चाहिए। इस दौरान जब भी यह आपको 20-25 फीसदी बढ़त दिला रहा हो तो बेचकर निकल लीजिए। कल यह शेयर एनएसई (कोड – HINDALCO) और बीएसई (कोड – 500440) दोनों में ही में 116.40 रुपए पर बंद हुआ है। हां, इसमें डेरिवेटिव सौदे भी होते हैं।

हमने इसी कॉलम में हिंडाल्को की सबसे पहले चर्चा 6 मई 2010 को की थी। तब वह 164 रुपए के आसपास चल रहा था। उससे ठीक साल पहले 5 मई 2009 को यह 60 रुपए की तलहटी पर था। आप एक सालाना चक्र इसके भावों में देख सकते हैं और हर चक्र में भाव का स्तर उठता गया है। 164 रुपए का शेयर आठ महीने बाद जनवरी 2011 में 251.90 रुपए तक चला गया। 50 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न। लेकिन फिर साल भर में उससे भी ज्यादा नीचे। हिंडाल्को के हिंडोले की सवारी करते हुए इस चक्र को बराबर ध्यान में रखना जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *