दुनिया की दो शीर्ष अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में से विश्व बैंक पर अमेरिका का कब्जा बरकरार है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) पर यूरोप का नेतृत्व है। लेकिन रेटिंग एजेंसियों के मामले में अमेरिका का ही बोलबोला है। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स, मूडीज़ व फिच तीनों ही प्रमुख एजेंसियां अमेरिका की हैं। इनको चुनौती देने की कोशिश में यूरोप काफी समय से लगा हुआ है। लेकिन अभी तक यह कोशिश किसी अंजाम पर नहीं पहुंच सकी है। असल में,औरऔर भी

यूरो ज़ोन अब ऋण संकट के साथ-साथ रिकॉर्ड बेरोजगारी, घटते औद्योगिक उत्पादन और बढ़ती महंगाई से भी परेशान हो गया है। यूरोप के सांख्यिकी कार्यालय यूरोस्टैट के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक यूरो ज़ोन में बेरोजगारी की दर जनवरी में अचानक बढ़कर 10.7 फीसदी हो गई। ऋण संकट से बुरी तरह घिरे स्पेन में बेरोजगारी की दर 23.3 फीसदी हो गई है जो पूरे यूरो ज़ोन में सबसे ज्यादा है। ऑस्ट्रिया की हालत सबसे अच्छी है। लेकिन वहांऔरऔर भी

ग्रीस की संसद ने अवाम के विरोध प्रदर्शन के बावजूद सरकारी खर्च में भारी कटौती का मितव्ययिता पैकेज मंजूर कर लिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और यूरोपीय संघ ने शर्त लगा रखी है कि इस प्रस्ताव को मंजूर करने पर ही ग्रीस को 130 अरब यूरो (170 अरब डॉलर) की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस सिलसिले में बुधवार को यूरो ज़ोन के वित्त मंत्रियों की एक और बैठक ब्रसेल्स में होने जा रही है। ग्रीस की संसदऔरऔर भी

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल  ने कहा है कि ग्रीस को तब तक नई सहायता नहीं दी जा सकती, जब तक वो पिछली सहायता के इस्तेमाल में वाजिब प्रगति नहीं दिखाता। सोमवार को फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी के साथ बैठक के बाद बर्लिन में आयोजित एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मैर्केल ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि कल, मंगलवार को वे ग्रीस के संकट पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लैगार्ड से बातचीत करनेवालीऔरऔर भी

यूरोप के दो संकटग्रस्त देशों में हुए नए घटनाक्रम ने दुनिया के बाजारों में नया उत्साह भर दिया है। जहां ग्रीस में शुक्रवार को लुकास पापाडेमॉस ने अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली, वहीं इटली में संसद के ऊपरी सदन सीनेट ने लंबे समय से अधर में लटके आर्थिक सुधार पैकेज को मंज़ूरी दे दी। पापाडेमॉस के नेतृत्व में ग्रीस की नई अंतरिम गठबंधन सरकार यूरोपीय देशों की ओर ग्रीस को मिलने वाली आर्थिक मददऔरऔर भी

यूरोप में संकट में फंसी सरकारों के ऋण का बड़ा हिस्सा ऐसे लोगों या संस्थाओं ने दे रखा है, जो विदेशी हैं और उस देश में नहीं रहते। विदेशियों द्वारा दिए गए कर्ज का हिस्सा इटली सरकार के कुल ऋण में 44.4%, ग्रीस के ऋण में 57.4% व पुर्तगाल सरकार के ऋण में 60.5% है। इसमें यूरोपीय सेंट्रल बैंक का दिया ऋण शामिल नहीं हैं। यहां तक कि फ्रांस की सरकार के ऋण का भी 62.5% हिस्साऔरऔर भी

यूरोप का ऋण संकट इस वक्त सबके जेहन पर छाया हुआ है। अमेरिकी सरकार की रेटिंग घटने के बाद उसके भी ऋण पर चिंता जताई जा रही है। लेकिन आईएमएफ के ताजा अध्ययन के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज का बोझ जापान सरकार पर है। साल 2011 में उसका कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 230% रहेगा। ग्रीस सरकार का कर्ज इससे कम, जीडीपी का 165% रहेगा। इसके बाद क्रम से इटली, आयरलैंड, पुर्तगाल औरऔरऔर भी

यूरोप सहित तमाम विकसित देशों में गहराते वित्तीय संकट और घरेलू अर्थव्यवस्था की मंद पड़ती रफ्तार से चिंतित वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को वैश्विक समुदाय का आह्‍वान करते हुए कहा कि हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए और स्थिति से मिलकर निपटना होगा। दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों के शोध से जुडी भारतीय परिषद (आईसीआरआईईआर) के एक सम्मेलन के दौरान उन्होंने अलग से कहा कि लगातार निराशाजनक समाचार मिल रहे हैं। पहले हमें औद्योगिक उत्पादन सूचकांकऔरऔर भी

यूरोप के केंद्रीय बैंक में अंदरूनी मतभेद और ग्रीस द्वारा करों में और कमी किए जाने की घोषणा की खबरों के बाद यूरो ज़ोन में कर्ज संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है। लेकिन इससे एशियाई बाजार में सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का रुख दर्ज किया गया। न्यूयॉर्क में कच्चे तेल (लाइट स्वीट क्रूड) का अक्टूबर में होने वाला मुख्य सौदा सोमवार 1.23 डॉलर की गिरावट के साथ 86.01 डॉलर प्रति बैरल परऔरऔर भी

दोनों ही शीर्ष रेटिंग एजेंसियों स्टैंडर्ड एंड पुअर्स और मूडीज ने भले ही फ्रांस की रेटिंग को एएए के सर्वोच्च स्तर से नीचे न उतारा हो, लेकिन फ्रांस के बैंको को लेकर विश्वास का संकट गहराने लगा है। गुरुवार को ऋण की लागत यानी ब्याज दर बढ़ने से पूरे यूरोप के बैकिंग उद्योग के सामने यह मुश्किल आ खड़ी हुई है। बुधवार को फ्रांस के प्रमुख बैंक सोसाइटी जनरल के शेयरों में 15 फीसदी की भारी गिरावटऔरऔर भी