यूरो संकट पर खींचतान, ग्रीस को सहायता सशर्त

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल  ने कहा है कि ग्रीस को तब तक नई सहायता नहीं दी जा सकती, जब तक वो पिछली सहायता के इस्तेमाल में वाजिब प्रगति नहीं दिखाता। सोमवार को फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी के साथ बैठक के बाद बर्लिन में आयोजित एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मैर्केल ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि कल, मंगलवार को वे ग्रीस के संकट पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लैगार्ड से बातचीत करनेवाली है।

सोमवार को मर्केल और सारकोजी ने पूरे यूरोपीय संघ के लिए एक खास वित्तीय लेनदेन टैक्स पर विचार-विमर्श किया। ब्रिटेन अभी से ही इस तरह के कर का विरोध कर रहा है। फ्रांस और जर्मनी चाहते हैं कि यूरोपीय संघ में आर्थिक व वित्तीय लेनदेन पर कर लगाया जाए, जबकि ब्रिटेन को डर है कि इससे लंदन जैसे शहर को बहुत नुकसान होगा, क्योंकि लंदन विश्व के आर्थिक केंद्रों में से एक है और सबसे ज्यादा कर लंदन से ही वसूला जाएगा।

बता दें कि सितंबर में यूरोपीय आयोग ने टोबिन टैक्स के सिलसिले में नई योजनाएं पारित कीं। इसके तहत शेयर कारोबार पर 0.1 फीसदी और वित्तीय समझौतों पर 0.01 फीसदी टैक्स लगाया जाना है। रविवार को आयोग ने यूरोपीय देशों से कहा कि वे मिलकर एक समान टोबिन टैक्स पर एकराय बनाएं। इसी सिलसिले में सोमवार को मैर्केल और सारकोजी के बीच बैठक हुई है।

उधर इटली के प्रधानमंत्री मारियो मोंटी ने कहा है कि उनका देश फ्रांस के वित्तीय लेनदेन पर कर लगाने के प्रस्ताव पर बातचीत करने को तैयार है, लेकिन इसे यूरोपीय संघ के व्यापक प्रयास का हिस्सा होना चाहिए। मोंटी ने एक टेलिविजन चैनल से कहा, “यूरो संकट में नहीं है। डॉलर के मुकाबले मुद्रा मजबूती से अपनी विनिमय दर बनाए हुए है। बैंकिंग प्रणाली को कोई खतरा नहीं है। कुछ यूरोपीय देश सार्वजनिक ऋण के संकट में फंस गए हैं और इसी समस्या का हम सामना कर रहे हैं।” नवंबर में प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का पदभार संभालने वाले मोंटी ने कहा कि इटली के वाणिज्यिक बैंकों को कोई खतरा नहीं है।

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