इंसान अमर नहीं हो सकता। अमरत्व की कोई घुट्टी भी आज तक न तो बनी है और न ही आगे बनेगी। लेकिन इंसान की रचना अमर हो सकती है। इसलिए जीते जी ऐसा कुछ रच देना चाहिए तो हमारे बाद भी ज़िंदा रहे।और भीऔर भी

काल से बड़ा कोई नहीं। यमराज भी उनके कहे अनुसार चलते हैं। उगना, खिलना, पकना, मिटना सब काल के खेल हैं। प्राचीन मान्यता है कि स्वर्ग में न बुढ़ापा है और न ही मृत्यु। कठोपनिषद के अनुसार स्वर्ग प्राप्ति का साधन अग्नि-विद्या है। नचिकेता ने यमराज से वही अग्नि रहस्य पूछा था। यमराज ने नचिकेता को अग्नि-विद्या बताई। नचिकेता इस रहस्य को फौरन जान गए। तब से यही अग्नि-विद्या ‘नाचिकेतस अग्नि’ कही जाती है। लेकिन हमारी- आपकीऔरऔर भी

असत से सत की ओर, अंधेरे से उजाले की ओर, मृत्यु से अमरत्व की ओर। सब प्रार्थना है। यथार्थ यह है कि हम हर समय असंतुलन से संतुलन की ओर बढते रहते हैं। लेकिन पूर्ण संतुलन तो मृत्यु पर भी नहीं मिलता।और भीऔर भी