स्विटजरलैंड का कहना है कि उसे करचोरों की पनाहगार समझना उचित नहीं है और वह भारत के साथ आयकर मामलों में सहयोग की नई संधि को इस साल मंजूरी मिल जाने के बाद कालेधन के खिलाफ कार्रवाई में उसको प्रशासनिक सहयोग दे सकेगा।
स्विटजरलैंड के वित्त विभाग के मंत्री माइकल एमबल ने शनिवार को दावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के समारोह से बाहर भारत के एक निजी समाचार चैनल के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमने हाल ही में भारत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है, इसे मंजूरी के लिए संसद को सौंपा गया है। समझौते के लागू होते ही हम शीघ्रता से कर अपवंचन खिलाफ कड़े कदम उठाएंगे। दोनों देश कर अपवंचन (कर चोरी) से निपटने में एक दूसरे को प्रशासनिक सहायता की अनुमति भी दे सकते हैं।’’
गौरतलब है कि भारत और स्विटजरलैंड ने पिछले साल अगस्त में दोहरे कराधान से बचाव (डीटीएए) का संशोधित समझौता किया है। समझौते के लागू होने से भारतीयों द्वारा स्विटजरलैंड के बैंकों में जमा कालेधन पर पर सूचनाओं के लेने-देन में सहूलियत होगी। समझौते को अभी स्विटजरलैंड की संसद से मंजूरी मिलनी शेष है। समझौते के इसी साल अमल में आने की बात कहते हुए एमबल ने कहा ‘‘यह धारणा गलत है कि स्विटजरलैंड करचोरों की पनाहगाह है। स्विटजरलैंड ऐसे लोगों को शरण नहीं देता जो यहां अपना कालाधन छिपाना चाहते हैं।’’