जैसे ‘हीरा सदा के लिए’ होता है, उसी तरह इन्फोसिस, रिलायंस इंडस्ट्रीज़, एचडीएफसी, टाटा एलेक्सी, लार्सन एंड टुब्रो, आईटीसी, हिंदुस्तान यूनिलीवर, डॉ. रेड्डीज़ लैबोरेटरीज़, मारुति सुज़ुकी और क्रिसिल जैसी कंपनियां हमेशा के लिए होती हैं। लेकिन शेयर बाज़ार में ऐसी कंपनियों की संख्या 40-50 से ज्यादा नहीं होतीं। बाकी हज़ारों कंपनियों से भरपूर मुनाफा कमाकर निकल ही लेना चाहिए। दिक्कत यह है कि बराबर बढ़ते भावों वाली कंपनियों के शेयर हम बेचकर निकल नहीं पाते क्योंकि हमेशा लालच बना रहता है कि कहीं और बढ़ गया तो! दरअसल, शेयर खरीदने से कहीं ज्यादा मुश्किल है उन्हें सही मौके पर बेच देना। आज तथास्तु में पहली बार बेचने की सलाह। अप्रैल 2010 में यहां सुझाई इस कंपनी का शेयर इसी महीने 32 गुना हो गया।…
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