धीरे-धीरे साफ होता जा रहा है कि सब शेयरों को थोक के भाव एक ही तराजू में नहीं तौला जा सकता। उसी तरह जैसे सब धान पाइस पसेरी नहीं तौलते। लांग टर्म या दो से दस साल के लिए अलग, मीडियम टर्म या दो महीने से दो साल तक के लिए अलग, शॉर्ट टर्म या हफ्ते दस दिन से दो महीने तक के लिए अलग और एकाध दिन की ट्रेडिंग के लिए अलग। फंडामेंटल्स के आधार पर लांग टर्म, सूत्रों व खबरों के आधार पर मीडियम व शॉर्ट टर्म और तुरत-फुरत के लिए टेक्निकल एनालिसिस। अपनी जरूरत, जोखिम उठाने की क्षमता और शेयर की श्रेणी – लांग टर्म, मीडियम टर्म या शॉर्ट टर्म के सही मेल से ही इक्विटी बाजार में कमाई की जा सकती है।
आज शॉर्ट से मीडियम टर्म के ऐसे ही स्टॉक की चर्चा जिसे हमारे सहयोगी अमित कुमार ने चुना है। यह स्टॉक है सेलन एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजी। उनके सूत्रों के मुताबिक सेलन एक्सप्लोरेशन आनेवाले दिनों में 350 रुपए से 400 रुपए तक जा सकता है। इसे शॉर्ट से मीडियम टर्म में अच्छे रिटर्न के लिए खरीदकर रखा जा सकता है। दस रुपए अंकित मूल्य का यह शेयर फिलहाल शुक्रवार को बीएसई (कोड – 530075) में 307.90 रुपए और एनएसई (कोड – SELAN) में 305.80 रुपए पर बंद हुआ है। यानी, अमित के मुताबिक यह शेयर यहां से 14 से 30 फीसदी का रिटर्न दे सकता है।
वास्तव में कितना रिटर्न मिलेगा, यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल देखते हैं कि सेलन एक्सप्लोरेशन करती क्या है और उसके स्टॉक की स्थिति क्या है? यह 1985 में बनी और 1992 से काम में जुटी कंपनी है। नाम के अनुरूप जमीन के अंदर से पेट्रोलियम तेल निकालने व बेचने का धंधा है। सरकार से इसे उत्पादन में हिस्सेदारी अनुबंध (पीएससी) के तहत गुजरात के कुल पांच तेल क्षेत्र मिले हुए हैं – बकरोल, इंद्रोरा, लोहार, ओगनज व कर्जीसन। सरकार ने पूरा तेल व गैस उत्पादन खरीदने का आश्वासन दे रखा है तो माल के बिकने में कोई झंझट या जोखिम नहीं है। हां, यह धंधा बड़ा निवेश मांगता है तो कंपनी को पूंजी की जरूरत बराबर बनी रहेगी।
कंपनी के निदेशक बोर्ड में चार लोग हैं – रोहित कपूर (कोलंबिया बिजनेस स्कूल से एमबीए), एस के सिंह (बीपीसीएल, ब्रिटिश पेट्रोलियम व शेल का अनुभव), तारिक करीमभोय (अनिवासी भारतीय) और वी बी महाजन (एबीबी व प्रॉक्टर एंड गैम्बल का अनुभव)। कंपनी ने इसी साल जुलाई से केयर्न एनर्जी के जनरल मैनेजर एंड्रयू वेंक को अपना प्रेसिडेंट व सीईओ नियुक्त किया है। वेंक केयर्न में राजस्थान तेल क्षेत्र में पेट्रोलियम इंजीनियरिंग ऑपरेशंस का संचालन करते थे। वे रिलायंस इंडस्ट्रीज के कृष्णा गोदावरी बेसिन में भी काम कर चुके हैं।
कंपनी का धंधा अभी पूरा निखरा नहीं है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसने 70.95 करोड़ रुपए की बिक्री पर 31.74 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था और उसका सालाना ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 20.08 रुपए था। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में जून की पहली तिमाही में उसकी बिक्री साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में 41.87 फीसदी बढ़कर 24.43 करोड़ रुपए हो गई, जबकि शुद्ध लाभ 48.39 फीसदी बढ़कर 12.94 करोड़ रुपए हो गया। अब उसका ठीक पिछले बारह महीने (टीटीएम) का ईपीएस 21.17 रुपए है। इस तरह उसका शेयर फिलहाल 14.54 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इसे सस्ता तो नहीं, लेकिन दबा हुआ स्तर जरूर कहा जाएगा क्योंकि मार्च 2010 से यह इतने कम पी/ई पर कभी नहीं ट्रेड हुआ है।
इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 410.80 रुपए है जो इसने इस साल के पहले कारोबारी दिन 3 जनवरी को हासिल किया था। इसका न्यूनतम स्तर 264.15 रुपए का है जहां यह पिछले महीने 22 अगस्त को पहुंच गया था। सोचिए, 23 जुलाई को पहली तिमाही के अच्छे नतीजों की घोषणा के महीने भर के भीतर यह तलहटी पर पहुंच गया। यहां मैं वॉरेन बफेट का एक वाक्य उद्धृत करना चाहूंगा, “इन 17 सालों (1964-81) में अर्थव्यवस्था का आकार पांच गुना बढ़ गया। फॉर्च्यून सूची में शामिल 500 कंपनियों की बिक्री पांच गुना से ज्यादा बढ़ गई। फिर भी इन 17 सालों में शेयर बाजार जहां का तहां पड़ा रहा। एकदम टस से मस नहीं हुआ।”
कहने का मतलब यह है कि अर्थव्यवस्था या कंपनी की बढ़त और शेयरों की बढ़त में सीधा समानुपाती रिश्ता नहीं होता। कई अन्य कारक हैं जिनसे शेयरों के भावों का निर्धारण होता है। सेलन एक्सप्लोरेशन की बात पर लौटें तो यह स्मॉल कैप कंपनी है। बाजार पूंजीकरण करीब 365 करोड़ रुपए है। कुल पूंजी 16.99 करोड़ रुपए है। इसका 42.02 फीसदी भाग प्रवर्तकों और बाकी 57.98 फीसदी पब्लिक के पास है। पब्लिक के हिस्से में से 2.20 फीसदी इक्विटी एफआईआई के पास है। डीआईआई ने इसमें कुछ नहीं लगा रखा है। कंपनी के कुल शेयधारकों की संख्या 16,873 है जिसमें से 15,401 या 91.3 फीसदी छोट निवेशक हैं। प्रवर्तकों से इतर छह बड़े शेयरधारकों के पास कंपनी की 9.47 फीसदी इक्विटी है। इनमें प्रेमनाथ आनंद (2.72 फीसदी), अरुण कृष्ण पुरी (1.66 फीसदी), योधन सचदेव (1.52 फीसदी), जहांगीर नोसिर बिलमोरिया (1.38 फीसदी), डॉली खन्ना (1.05 फीसदी) और वसाच इंटरनेशनल अपॉर्च्युनिटीज फंड (1.14 फीसदी) शामिल हैं।
कुल मिलाकर लांग टर्न के लिए सेलन एक्सप्लोरेशन में निवेश की सलाह कतई नहीं दी जा सकती। जब ओएनजीसी का शेयर 11.08, केयर्न इंडिया का 6.32, ऑयल इंडिया का 11.40 और रिलायंस इडस्ट्रीज का शेयर 14.07 के पी/ई अनुपात पर उपलब्ध हो, तब इनसे ज्यादा 14.54 के पी/ई पर ट्रेड हो रहे सेलन एक्स्प्लोरेशन को लंबे समय के लिए लेने का कोई तुक नहीं है। लेकिन दो-चार महीनों के लिए इस पर दांव लगाया जा सकता है। हां, जोखिम भरपूर है तो जरा संभलकर और सोच-समझकर निवेश का फैसला करें।