भारत में विकासगाथा में अटूट विश्वास शेयर बाज़ार के निवेश में राकेश झुनझुनवाला की अप्रतिम सफलता का मूलाधार बन गया। जिस वॉरेन बफेट से उनकी तुलना की जाती है, उन्होंने उनसे ज्यादा कमाया। लेकिन वॉरेन बफेट की सफलता और निवेश रणनीति पर अनेकों-अनेक किताबें हैं, जबकि राकेश झुनझुनवाला पर एक भी नहीं। अपने यहां यही दिक्कत है कि राजनेताओं के मरने से पहले ही उनके जीवनवृत्त लिख लिए जाते हैं और मरने के चंद दिन बाद छाप भी दिए जाते हैं। लेकिन विज्ञान से लेकर उदयोग, निवेश व सामाजिक आंदोलनों तक के पुरोधाओं का कोई पुछत्तर नहीं। जिन्होंने अपनी-अपनी विधा में जबरदस्त मूल्य-सृजन किया, उन्हीं का कोई मूल्य नहीं। यह दुखद स्थिति है। भारत को विकसित देश बनाना है तो यह स्थिति बदलनी होगी। अब सोमवार का व्योम…
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