इंट्रा-डे ट्रेडिंग शेयर बाज़ार में सबसे ज्यादा रिस्की व तनाव भरा उद्यम है, शायद फ्यूचर्स व ऑप्शंस से भी ज्यादा। मगर न जानें क्यों हमारी पूंजी बाज़ार नियामक संस्था, सेबी ने इसे व्यक्तिगत निवेशकों या कहें तो रिटेल ट्रेडरों के लिए ही खोल रखा है। संस्थाओं का प्रवेश इसमें वर्जित है। संभव है कि बैंक, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) इसे मानते हों। लेकिन जितने भी ब्रोकरेज हाउसेज़ हैं, वे तो जमकर डे-ट्रेडिंग करते होंगे। संस्थागत रूप से वे नहीं तो उनका स्टॉफ ज़रूर इंट्रा-डे ट्रेडिंग करता है। कुछ सब-ब्रोकरों के यहां तो मैने खुद देखा है कि इंट्रा-डे ट्रेडरों का झुंड मंडराता रहता है। वे लोग ट्रेडिंग के रिस्क को समझे बिना लॉटरी या जुआ जैसा कुछ खेलते रहते हैं। अब मंगलवार की दृष्टि…
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