किसी भी दिन शेयर बाज़ार में खरीदे और बेचे गए शेयरों की संख्या बराबर होती है। तभी हर सौदा पूरा होता है। शेयरों के भाव तब बढ़ते हैं, जब उन्हें खरीदने की आतुरता ज्यादा होती है। लोग उसे पाने के लिए ज्यादा दाम देने को तैयार होते हैं। वहीं, शेयर तब गिरते हैं, जबकि उन्हें बेचने की व्यग्रता ज्यादा होती है। इधर कुछ महीनों से हो यह रहा है कि जो शेयर पहले से बढ़े हुए हैं, वे चढ़े जा रहे हैं और 52 हफ्ते का नया-नया शिखर बना रहे हैं। वहीं, गलती से भी किसी अच्छी-खासी कंपनी का शेयर गिर गया तो गिरा ही जा रहा है। आखिर कौन हैं जिनकी खरीद पहले से बढ़े शेयरों को चढ़ाती जा रही है? अब सोम का व्योम…
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