देश में बाजार पूंजीकरण के लिहाज से सबसे बड़ी कंपनी, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के दिसंबर तिमाही के नतीजों का अंदाज लगाने में विश्लेषकों व बाजार ने कोई गच्चा नहीं खाया। बल्कि, शुद्ध लाभ उनके अनुमान से भी बदतर रहा है। अधिकांश विश्लेषकों का अनुमान था कि कंपनी का शुद्ध लाभ 4500 से 4800 करोड़ रुपए रहेगा। लेकिन हकीकत में कंपनी का शुद्ध लाभ 4440 करोड़ रुपए रहा है। यह साल भर पहले की दिसंबर तिमाही में हुए 5136 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ से 13.55 फीसदी और ठीक पिछली सितंबर तिमाही के शुद्ध लाभ 5703 करोड़ रुपए से 22.15 फीसदी कम है। पिछले दो सालों में पहली बार किसी तिमाही में कंपनी के शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर कमी आई है।
कंपनी के निदेशक बोर्ड ने शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद दिसंबर 2011 की तिमाही के नतीजों को पारित किया। इनके मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कंपनी की बिक्री 85,135 करोड़ रुपए रही है। यह साल भर की समान अवधि की बिक्री 59,789 करोड़ रुपए से 42.39 फीसदी ज्यादा है। लेकिन बिक्री बढ़ने के बावजूद लाभ के घटने की प्रमुख वजह यह है कि जहां साल भर पहले कंपनी का सकल रिफाइनिंग मार्जिन 9 डॉलर प्रति बैरल था, वहीं दिसंबर तिमाही में यह 6.80 डॉलर प्रति बैरल रह गया है। इस तरह कंपनी का रिफाइनिंग मार्जिन 24.4 फीसदी घट गया है। वैसे, वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों की बात करें तो इस बार कंपनी का सकल रिफाइनिंग मार्जिन 9 फीसदी है, जबकि साल भर पहले की समान अवधि में यह 8.1 डॉलर प्रति बैरल था।
कंपनी ने चालू वित्त वर्ष में दिसंबर 2011 तक के नौ महीने में 2,44,721 करोड़ रुपए की बिक्री हासिल की है, जबकि बीते पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी बिक्री 2,48,170 करोड़ रुपए थी। पहले नौ महीनों में उसका निर्यात भी 55.2 फीसदी बढ़कर 1,56,753 करोड़ रुपए हो गया। हालांकि इस दौरान कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने के कारण उसके कच्चे माल की लागत भी 50.6 फीसदी बढ़कर 2,03,294 करोड़ रुपए हो गई।
इन नतीजों पर टिप्पणी करते हुए कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा, “हमारे व्यवसाय की वैश्विक प्रकृति और आर्थिक हालात में कमजोरी के चलते तिमाही में हमारा लाभार्जन घटा है, खासकर रिफाइनिंग व पेट्रोकेमिकल बिजनेस में। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद रिलायंस ने अपेक्षाकृत बेहतर नतीजे पेश किए हैं। हमारा जोर अपनी मजबूत बैलेंस शीट और भावी विकास के धंधों में समझदारी के निवेश से शेयरधारकों के मूल्य को बढ़ाने पर बना रहेगा।”
कंपनी के ऊपर 31 दिसंबर 2011 तक कुल बकाया ऋण 74,503 करोड़ रुपए का था, जबकि 31 मार्च 2011 को इसकी मात्रा 67,397 करोड़ रुपए थी। लेकिन कंपनी के पास फिलहाल 74,539 करोड़ रुपए का कैश बैलेंस है। कंपनी ने दिसंबर तक के नौ महीनों में 4836 करोड़ रुपए का कैश पूंजीगत खर्च में लगाया है। वैसे, इस दौरान उसका कुल पूंजीगत खर्च 12,458 करोड़ रुपए का रहा है।