रिटेल न बचाते, 2008 जैसा होता हाल!

गंजेड़ी यार किसके, दम लगाके खिसके। यही हाल अपने यहां विदेशी संस्थागत निवेशकों या एफआईआई का है। वे बीते वित्त वर्ष में भारतीय शेयर बाज़ार से करीब 3 लाख करोड़ रुपए की मुनाफावसूली कर चुके हैं और अब भी बेचे जा रहे हैं। बता दें कि साल 2008 के क्रैश के आसपास एफआईआई ने लगभग इतनी ही रकम निकाली थी और अपना बाज़ार 60% से ज्यादा गिर गया था। इस बार तो निफ्टी-50 अपने शीर्ष से अभी तक करीब 15% ही गिरा है। आगे क्या होगा, किसी को पता नहीं। लेकिन इतना साफ है कि इस बार रिटेल अभी तक निवेशकों ने बाज़ार को गिरने से रोक रखा है। उन्होंने सीधे निवेश के साथ ही हर महीने एसआईपी के जरिए शेयर बाज़ार में परोक्ष रूप से औसतन 11,000 करोड़ रुपए डाले हैं। अब सोम का व्योम…

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