लो, बादशाह ने फेंका तुरुप का पत्ता

रिलायंस इंडस्ट्रीज को बाजार का किंग यूं ही नहीं कहा जाता। धीरूभाई के जमाने से ही कंपनी अपने शेयरों को ज्यादा दबने नहीं देती। इसलिए उसके लाखों शेयरधारक हमेशा खुश ही रहते आए हैं। इधर उसका शेयर चालू वित्त वर्ष 2011-12 की तीन तिमाहियों में 35.5 फीसदी का गोता लगा गया तो यह रिलायंस की शेयरधारक संस्कृति के खिलाफ था। सो, धीरूभाई की विरासत के अनुरूप मुकेश अंबानी ने तय कर लिया कि कंपनी अपने शेयर वापस खरीदेगी। इस बायबैक पर औपचारिक फैसला कल, शुक्रवार को दिसंबर तिमाही के नतीजों की घोषणा के साथ हो जाएगा।

जाहिर है कि कंपनी प्रबंधन को लगता है कि शेयर का बाजार भाव अपने अंतर्निहित या वाजिब मूल्य से नीचे चल रहा है। कितना नीचे? इसका सही आकलन तो कल रिलायंस इंडस्ट्रीज के निदेशक बोर्ड का फैसला आने के बाद ही सामने आएगा। वैसे, बाजार में चर्चा चल पड़ी है कि यह मूल्य 850 से 900 रुपए प्रति शेयर हो सकता है। इस गणना का आधार यह है कि कल आरआईएल का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 500325) में 776.90 रुपए और एनएसई (कोड – RELIANCE) में 779.75 रुपए पर बंद हुआ है। इस पर 10 फीसदी जोड़कर मूल्य करीब 860 रुपए निकलता है।

रिलायंस ने लगभग सात साल पहले मंगलवार, 28 दिसंबर 2004 को अपने शेयर वापस खरीदने की घोषणा की थी और 570 रुपए प्रति शेयर का बायबैक मूल्य तय किया था। इससे पहले शुक्रवार, 24 दिसंबर को 2004 को उसका बंद भाव 523.60 रुपए था। इस तरह कंपनी ने प्रति शेयर करीब 9 फीसदी का प्रीमियम दिया था। नियमतः कंपनी अपनी नेटवर्थ (इक्विटी + फ्री रिजर्व) का ज्यादा से ज्यादा 10 फीसदी हिस्सा बायबैक पर खर्च कर सकती है। लेकिन उस पर इसे पूरा करने की बाध्यता नहीं होती। दिसंबर 2004 में बायबैक के लिए 2999 करोड़ रुपए की रकम रखी गई थी। लेकिन वास्तविक बायबैक मात्र 149.62 करोड़ रुपए का हुआ था।

असल में बायबैक की घोषणा तब भी शेयरों के भाव को चढ़ाने के लिए की गई थी और इस बार भी इसका मकसद यही है। सोचिए, रिलायंस का जो शेयर चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले दिन 1 अप्रैल 2011 को 1065.55 रुपए के शिखर पर था, वो नए साल के पहले कारोबारी दिन 2 जनवरी 2012 को 687.55 की घाटी में जा गिरा। ऐसे में रिलायंस समूह का परेशान होना लाजिमी था और उसने इससे निजात पाने का आजमाया तीर चला दिया।

कारण यह भी है कि करीब साल भर से जिस तरह रिलायंस इंडस्ट्रीज का नकारात्मक मूल्यांकन किया जा रहा है, उसके और बदतर होते जाने का अंदेशा है। एक के बाद एक विदेशी ब्रोकरेज व निवेश फर्में उसे डाउनग्रेड किए जा रही हैं। मॉरगन स्टैनले ने उसे अंडरवेट श्रेणी में डाल रखा है। नोमुरा सिक्यूरिटीज ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि दिसंबर तिमाही में रिलायंस के नतीजे पिछली आठ तिमाहियों में सबसे ज्यादा खराब रहेंगे। कंपनी की आय तो साल भर पहले की तुलना में 37 फीसदी बढ़कर 82,040 करोड़ रुपए हो सकती है, लेकिन उसका शुद्ध लाभ 12 फीसदी घटकर 4550 करोड़ रुपए पर आ जाएगा। यह सितंबर 2011 तिमाही से करीब 20 फीसदी कम होगा। उसने इसकी वजह यह बताई है कि कंपनी का रिफाइनिंग मार्जिन करीब 36 फीसदी घटकर 6.5 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है। एक अन्य ब्रोकरेज फर्म एलारा सिक्यूरिटीज का अनुमान है कि दिसंबर तिमाही में रिलायंस का शुद्ध लाभ 4870 करोड़ रुपए हो सकता है।

खैर, हकीकत कल सामने आ ही जाएगी। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि रिलायंस ने अपने प्रति बाजार में गहराती जा रही धारणा को तोड़ने के लिए बायबैक की घोषणा की है। इससे कंपनी पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। उसके पास सितंबर 2011 के अंत तक 61,490 करोड़ रुपए का कैश बैलेंस था। अनुमान है कि यह अब तक लगभग 85,000 करोड़ रुपए हो चुका है। दूसरी तरफ उसकी नेटवर्थ मार्च 2011 तक 1.46 लाख करोड़ रुपए की थी। अगर वह इसका 10 फीसदी हिस्सा बायबैक पर खर्च करती है तो कुल रकम 14,600 करोड़ रुपए निकलती है, जिसे निकालकर भी उसके पास करीब 60,000 करोड़ रुपए का कैश भावी योजनाओं के लिए बच जाएगा। ऊपर से जारी शेयरों की संख्या घटने से उसका प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) बढ़ जाएगा और नतीजतन मूल्यांकन भी चढ़ जाएगा।

अहम सवाल यह है कि रिलायंस के शेयरधारकों को करना क्या चाहिए? बता दें कि सितंबर 2011 तक की स्थिति के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज के कुल 34,92,470 शेयरधारक हैं जिनमें से 34,35,803 यानी 98.4 फीसदी एक लाख रुपए तक के निवेश वाले छोटे निवेशक हैं। क्या उन्हें अपने शेयर बेचकर निकल लेना चाहिए? मॉरगन स्टैनले का कहना है – हां, बायबैक का फायदा उठाते हुए निवेशकों को इससे निकल जाना चाहिए। लेकिन हमारा मानना है कि हमें पहले यह देखना चाहिए कि बायबैक में मूल्य क्या रहता है। अगर यह 1000 रुपए के आसपास रहता है तो बेशक इसे बेचकर अपना मूलधन निकाल लेना चाहिए। लेकिन अगर यह 850 रुपए के आसपास रहता है तो इसमें बने रहना चाहिए। कारण, बायबैक की घोषणा से रिलायंस समूह ने साफ कर दिया कि अपनी अग्रणी कंपनी के शेयरों के भाव को चढ़ाने के लिए हरचंद कोशिश की जाएगी। तय मानिए कि जो काम बायबैक नहीं कर पाएगा, उसे समूह की हजारों घोषित-अघोषित निवेश फर्में अपने तंत्र के दम पर कर डालेंगी।

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