बड़ी सीधी साफ-सी बात है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था हमेशा उसकी अपनी मुद्रा में चलती है। अमेरिका की डॉलर में, ब्रिटेन की पौंड में, यूरोप की यूरो में तो भारत की रुपए में। लेकिन टेढ़ी-सी बात यह है कि क्या आज की ग्लोबल दुनिया में देश की अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित शक्ति और उसकी मुद्रा की विनिमय दर में कोई सीधा रिश्ता है? फिर सवाल यह भी उठता है कि क्या आज के माहौल में शेयर बाज़ार अर्थव्यवस्था की मजबूती या कमज़ोरी का आईना रह गया है? वित्तीय बाज़ार में डुबकी लगा रहे किसी भी शख्स के लिए इन सवालों की तह में पैठना ज़रूरी है। लेकिन यह भी साफ है कि इनका कोई शाश्वत जवाब नहीं हैं। सच्चाई स्थिर नहीं, वह परिस्थिति व समय के साथ बदलती रहती है। अब सोमवार का व्योम…
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