अमेरिका से लेकर यूरोप और भारत तक में ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला चला हुआ है। तात्कालिक मकसद है चढ़ती मुद्रास्फीति पर काबू पाना, जबकि अंतिम मसकद है अर्थव्यवस्था को नई गति देना। भारत में आर्थिक सुस्ती या ठहराव आ सकता है। लेकिन अमेरिका और यूरोप में तो मंदी की आशंका गहराती जा रही है। इससे डरकर सारी दुनिया के शेयर बाज़ार डूबने लगे हैं। बड़ी सीधी-सरल बात है कि ब्याज दर बढ़ने से बॉन्डों के दाम घट जाते हैं जिससे उन पर मिल रही यील्ड बढ़ जाती है। लेकिन आखिर ब्याज़ दरों के बढ़ने और शेयर बाज़ार के डूबने में क्या रिश्ता है? भारतीय शेयर बाज़ार के गिरने के साथ सीधा रिश्ता यह है कि अपने देश में ब्याज बढ़ने से विदेशी निवेशक अक्टूबर 2021 से ही यहां से जमकर धन निकाले जा रहे हैं। अब सोमवार का व्योम…
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