रिजर्व बैंक ने रुपए को संभालने की पुरज़ोर कोशिश की। डॉलर के मुकाबले रुपया जमकर गिरना शुरू हुआ, उससे पहले सितंबर में उसने विदेशी मुद्रा के फॉरवर्ड बाज़ार में 14.58 अरब डॉलर बेचे थे। वहीं अक्टूबर में उसने फॉरवर्ड बाज़ार में 49.18 अरब डॉलर और स्पॉट बाजार में 9.27 अरब डॉलर बेचे। बता दें कि अप्रैल 2024 में रिजर्व बैंक ने स्पॉट बाज़ार से 13.24 अरब डॉलर खरीदे थे और फॉरवर्ड बाज़ार में मात्र 54 करोड़ डॉलर ही बेचे थे। दिसंबर का डेटा घोषित नहीं हुआ। लेकिन बाज़ार से लोगों का कहना है कि नवंबर अंत तक रिजर्व बैंक ने 60 अरब डॉलर की शॉर्ट पोजिशन ले रखी थी। शायद जनवरी में उसे इसे कवर करने के लिए बाजार से डॉलर खरीदने पड़े। तभी डॉलर के मुकाबले रुपया 86.71 तक गिरने के बाद थोड़ा संभला है। रुपए को संभालने में नाकाम रहने के बाद रिजर्व बैंक ने अब हाथ खड़े कर दिए हैं और डॉलर-रुपए की विनिमय दर को बाज़ार के हवाले कर दिया है। इस बीच मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमणियन ने कहा है कि रुपए का गिरना स्वाभाविक है और देर-सबेर इसे होना ही था। यकीनन, रुपए के कमज़ोर होने का मनोवैज्ञानिक असर तकलीफदेह है। लेकिन उसे जबरन थामना भी ठीक नहीं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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