भाव भगवान नहीं, इनके खातों के भरोसे

संस्थागत निवेशक शेयर बाजार में कभी भावों को भगवान नहीं मानते। उन्हें अच्छी तरह पता है कि वे भावों को अपनी खरीद या बिकवाली के दम पर आसमान पर पहुंचा या पाताल तक गिरा सकते हैं। इन संस्थागत निवेशकों में तमाम एफपीआई के साथ-साथ देशी म्यूचुअल फंड और एलआईसी जैसी बीमा कंपनियां शामिल हैं। हां, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की ताकत देशी सस्थाओं पर अक्सर भारी पड़ती है। इनका प्रमाण है एचडीएफसी और इन्फोसिस जैसी दमदार कंपनियों के स्टॉक्स का ज़मीन पर आ जाना। वे चाहते हैं तो कभी हिंडाल्को को चढ़ाकर गिरा देते हैं और कभी हीरो मोटोकॉर्प को गिराकर उठा देते हैं। तीस साल पहले हर्षद मेहता ऐसा ही खेल घरेलू बैंकों के दम पर किया करता था, जबकि आज के हर्षद एफपीआई हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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