सरकारें हमेशा यह छिपाने में लगी रहती हैं कि वे जनता की सेवा का नारा देकर असल में किसके लिए काम कर रही हैं। लोकतंत्र में विपक्ष, मीडिया व जागरूक अवाम का काम है कि वो हमेशा सरकार की असलियत उजागर करता रहे। विपक्ष अवसरवादी और मीडिया सरकार की गोद में जा बैठा हो तो सारा का सारा दायित्व जागरूक अवाम पर आ जाता है। सरकार के असली चेहरे व चरित्र को समझने के लिए बजट से अच्छा मौका नहीं होता। इस बार के बजट में मोदी सरकार ने 12 लाख रुपए तक की सालाना आय पर ज़ीरो टैक्स के करतब से 15-20 करोड़ आबादी वाले उस मध्यवर्ग को शांत करने की कोशिश की है जो 2017-18 के बाद से ही अपनी वास्तविक आय घटने की वजह से अंदर ही अंदर उबल रहा था। ठीक उसी तरह जैसे उसने देश के 81.35 करोड़ गरीबों को महीने में पांच किलो मुफ्त राशन देकर चुप करा रखा है। 12 लाख रुपए की आय पर ज़ीरो टैक्स से सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए का इनकम टैक्स छोड़ दिया तो पांच किलो मुफ्त राशन पर 2.30 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी नए वित्त वर्ष 2025-26 में भी देगी। कुल 3.30 लाख करोड़ रुपए का खर्च कोई बुरा सौदा नहीं है केवल अपने तंत्र व रखरखाव पर 8.68 लाख करोड़ रुपए खर्च करनेवाली सरकार की शांति के लिए। दिक्कत यह है कि अपनी संगठित लूट के चक्कर में वो देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में धकेले जा रही है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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