जिस तरह सिर्फ चिनगारी या लपटों को देखकर आप आग का स्रोत नहीं पकड़ सकते। उसी तरह सिर्फ भावों को देखकर स्टॉक की चाल नहीं पकड़ी जा सकती। यकीनन, सबसे ज़रूरी है कि भावना के बजाय तर्क से काम लेना। लेकिन तर्क सभी संबंधित तथ्यों को जुटाए बिना बुद्धि-विलास बन जाता है और किसी काम का नहीं रहता। भाव बराबर तब बढ़ता है जब संस्थाएं खरीदने को आतुर होती हैं, अन्यथा गिरते हैं। अब शुक्र का अभ्यास…
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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
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