मल्टी-लेवल मार्केटिंग स्कीमों की तरह क्रिप्टो एक्सचेंजों के पीछे भी राजनेताओं की मिलीभगत बताई जाती है। उनकी ताकतवर लॉबी ने सरकार व नियामक संस्थाओं के हाथ बांध दिए हैं। लेकिन ज़मीनी स्थिति विकराल होती दिख रही है। ब्लॉकचेन एंड क्रिप्टो एसेट काउंसिल (बीएसीसी) ने हाल ही में एक विज्ञापन में दावा किया कि क्रिप्टो करेंसी में डेढ़ करोड़ से ज्यादा भारतीय करीब 6 लाख करोड़ रुपए लगा चुके हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर सारी क्रिप्टो मुद्राओं का बाज़ार पूंजीकरण 3 लाख करोड़ डॉलर (225 लाख करोड़ रुपए) का हो चुका है। इस दावानल से देश कों, खासकर युवा पीढ़ी को बचाना ज़रूरी है। सरकार को अपना रुख साफ करना होगा और आतंकवाद की फंडिंग से लेकर मनी-लॉन्ड्रिंग में क्रिप्टो की धरपकड़ करनी होगी। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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