प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शेयर बाजार बंद होने के बाद बुधवार शाम अपने मंत्रिमंडल में कुछ अपेक्षित व कुछ अनपेक्षित फेरबदल किए। शरद पवार अब केवल कृषि मंत्री रहेंगे और खाद्य व उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय स्वतंत्र प्रभार के साथ इसी मंत्रालय के वर्तमान राज्यमंत्री के वी थॉमस को दे दिया गया है। जयपाल रेड्डी को पेट्रोलियम मंत्रालय सौंप दिया गया है, जबकि मुरली देवरा की उद्योग-प्रिय छवि को बरकरार रखते हुए उन्हें कॉरपोरेट कार्य मंत्री बना दिया गया है। सलमान खुर्शीद को यहां से निकालकर जल संसाधन जैसा मामूली मंत्रालय दिया गया है, लेकिन खुश करने के लिए उन्हें प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया है।
प्रफुल्ल पटेल को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया है। लेकिन उन्हें उड्डयन मंत्रालय से हटाकर भारी उद्योग व सार्वजनिक उपक्रम विभाग सौंप दिया गया है। अभी तक यह मंत्रालय देख रहे विलासराव देशमुख को ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ-साथ पंचायती राज का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। उड्डयन मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार विदेशी भारतीय मामलात मंत्री व्यालार रवि पर डाल दिया गया है। ढीले कामकाज के लिए आलोचना का पात्र बने कमलनाथ से सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय लेकर राजस्थान के नेता व ग्रामीण विकास मंत्री सी पी जोशी को दे दिया गया है। कमलनाथ अब जयपाल रेड्डी का शहरी विकास मंत्रालय देखेंगे।
राष्ट्रमंडल खेलों में ढिलाई के आरोपी खेल मंत्री एम एस गिल से खेल व युवा मामलात छीनकर सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय दे दिया गया है। अभी तक गृह राज्यमंत्री रहे अजय माकन को खेल व युवा मामलात मंत्रालय दिया गया है। गुरुदास कामत को टेलिकॉम से निकाल कर गृह मंत्रालय में माकन की जगह लाया गया है। जयराम रमेश के पास पर्यावरण मंत्रालय यथावत रखा गया है, जबकि उद्योग की लॉबी उन्हें हटवाने में लगी थी। माना जा रहा है कि सब कुछ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मर्जी से ही हुआ है।
कुल मिलाकर इस मंत्रिमंडल फेरबरदल में जहां तीन मंत्रियों को उठाकर कैबिनेट मंत्री का ओहदा दिया गया है, जबकि तीन नए चेहरे सरकार में लाए गए हैं। बाकी मंत्रियों का पोर्टफोलियो यहां से वहां किया गया है या थोड़ी कतर-ब्योंत की गई है। प्रफुल्ल पटेल, श्रीप्रकाश जायसवाल और सलमान खुर्शीद को राज्यमंत्री से उठाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया दिया है। जायसवाल अब कोयला मंत्रालय में ही कैबिनेट का दर्जा पा गए हैं। मंत्रिमंडल में लाए गए तीन नए नेता हैं – बेनी प्रसाद वर्मा (उत्तर प्रदेश), अश्विनी कुमार (पंजाब) और के सी वेणुगोपाल (केरल)। इन तीनों को ही राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है।
बेनी प्रसाद वर्मा एक समय समाजवादी पार्टी में थे और मुलायम सिंह यादव के काफी करीबी माने जाते थे। लेकिन 2008 में उन्होंने मुलायम का साथ छोड़ दिया और 2009 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर गोंडा से जीते। वे 1996 व 1998 के दौरान संचार मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री थे। अब उन्हें स्वतंत्र प्रभार वाला राज्यमंत्री बनाया गया है और स्टील मंत्रालय सौंपा गया है। अभी तक स्टील मंत्रालय संभाल रहे हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को माइक्रो, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय में डाल दिया गया है। इस मंत्रालय से निकालकर दिनशां पटेल को खनन में डाल दिया गया है। नए शामिल बाकी दो नेताओं में से अश्विनी कुमार को एक साथ संसदीय कार्य, योजना, विज्ञान व प्रौद्योगिकी और भू-विज्ञान मंत्रालय में राज्यमंत्री बना दिया गया है। के सी वेणुगोपाल ऊर्जा मंत्रालय में सुशील शिंदे के साथ बतौर राज्यमंत्री काम करेंगे।
कपिल सिब्बल ने अपनी इच्छा के मुताबिक विज्ञान प्रौद्योगिकी व भू-विज्ञान मंत्रालय छोड़ दिया है जिसे अब संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल को अलग से संभालना पड़ेगा। सिब्बल ने मानव संसाधन विकास और टेलिकॉम मंत्रालय अपने पास ही रखा है। कुमारी शैलजा से पर्यटन मंत्रालय लेकर खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सुबोधकांत सहाय को दे दिया गया है। लेकिन शैलजा को आवास व शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के साथ-साथ संस्कृति मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दे दिया है। ई अहमद को रेलवे में राज्यमंत्री से हटाकर विदेशी राज्यमंत्री के पद पर शशि थरूर की खाली जगह को भर दिया गया है। और भी छोटे-मोटे फेरबदल हुए हैं मंत्रियों के विभाग में।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मंत्रिमंडल के इस पुनर्गठन को ‘माइनर’ या मामूली बताया है। राजधानी दिल्ली में मंत्रियों के शपथग्रहण समारोह के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल संसद के बजट सत्र के बाद किया जाएगा। बता दें कि इस ताजा कसरत के बाद मंत्रिमंडल के कुल सदस्यों की संख्या 81 हो गई है, जिसमें से 35 कैबिनेट मंत्री, 6 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री और बाकी 40 किसी न किसी मंत्रालय से जुड़े राज्यमंत्री हैं।
आरपीजी फाउंडेशन के प्रमुख डी एच पई पनिंदकर का कहना है, “प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल में इधर-उधर मामूली तब्दीली की है। कोई भी बड़ी अपेक्षा पूरी नहीं हुई है। न तो युवा लोगों को लिया गया और न ही भ्रष्टाचार के दागी मंत्रियों को निकाला गया।” उद्योग के मुताबिक इस ‘मामूली’ फेरबदल से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कमजोर नेता की छवि और पुख्ता हो गई है।