किसानों की शिकायत थी कि पिछले साल उर्वरकों, खासकर डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) और एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश) के दाम बहुत बढ़ गए थे। लिहाजा इस बार इन्हें कम किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने उनकी मांग से उलट दोनों ही उर्वरकों पर सब्सिडी घटा दी है जिनसे इनके दाम इस साल बढ़ जाएंगे। डीएपी पर सब्सिडी 27.4 फीसदी और एमओपी पर 10.1 फीसदी कम की गई है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को अपनी बैठक में तय किया कि 1 अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2012-13 में नाइट्रोजन, फॉस्फेट, पोटाश और सल्फर युक्त उर्वरकों पर प्रति किलोग्राम सब्सिडी की रकम क्रमशः 24 रुपए, 21.804 रुपए, 24 रुपए और 1.677 रुपए रहेगी। सल्फर पर सब्सिडी नहीं बदली गई है, लेकिन नाइट्रोजन पर यह पहले से 11.6 फीसदी, फॉस्फेट पर 32.6 फीसदी और पोटाश पर 10.3 फीसदी कम कर दी गई है।
इससे सल्फर युक्त उर्वरक पर तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यूरिया पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उसके दाम सरकार ही तय करती है। लेकिन नियंत्रण-मुक्त उर्वरकों में डीएपी पर प्रति टन सब्सिडी अब 14,350 रुपए हो जाएगी। यह पिछले साल दी गई 19,763 रुपए प्रति टन की सब्सिडी से 27.4 फीसदी कम है। इसी तरह एमओपी पर सरकार की तरफ से नए वित्त वर्ष में 14,440 रुपए प्रति टन की सब्सिडी दी जाएगी जबकि पिछले साल यह रकम 16,054 रुपए थी। इस तरह सरकार ने एमओपी पर सब्सिडी 10.1 फीसदी घटा दी है।
इससे निश्चित रूप से डीएपी और एमओपी के भाव बढ़ जाएंगे। बता दें कि देश में सारा का सारा पोटाश उर्वरक आयात किया जाता है, जबकि फॉस्फेट उर्वरक की 90 फीसदी जरूरत आयात से पूरी की जाती है। इनका सबसे बड़ा आयातक इफ्को है। लेकिन इफ्को के प्रबंध निदेशक यू एस अवस्थी का कहना है कि सब्सिडी कम किए जाने के बावजूद डीएपी और एमओपी के रिटेल दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे, बल्कि कच्चे माल को ही कम मूल्य पर आयात करने की कोशिश की जाएगी।
मालूम हो कि सरकार ने दो साल पहले अप्रैल 2010 से फॉस्फेट और पोटाश युक्त उर्वरकों के लिए पोषण आधारित सब्सिडी की नीति शुरू की है। इस नीति के तहत सरकार हर वित्त वर्ष की शुरूआत से पहले सब्सिडी की नई दरें घोषित करती है। गुरुवार को मंत्रिमंडल के फैसले के बाद जारी बयान में कहा गया है, “नई दरों पर वित्त वर्ष 2012-13 के लिए फॉस्फेट व पोटाश उर्वरकों पर कुल सब्सिडी में 20 फीसदी से भी अधिक की कमी हो जाएगी। वर्ष के दौरान फॉस्फेट व पोटाश उर्वरकों के लिए कुल सब्सिडी की राशि उर्वरकों के कुल उपयोग पर निर्भर होगी।”
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष में कुल उर्वरक सब्सिडी के 90,000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाने का अनुमान है, जबकि वित्त मंत्री ने साल भर पहले बजट पेश करते वक्त इसका अनुमान 49,998 करोड़ रुपए रखा था। सरकार के ऊपर भारी दबाव है कि वह हर तरह की सब्सिडी को कम करके राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में ले आए।