सहारा इंडिया परिवार पर वित्तीय क्षेत्र के दो नियामकों, रिजर्व बैंक और सेबी के बाद तीसरे नियामक आईआरडीए (इरडा) की भी भृकुटि टेढ़ी हो गई है। उसने पिछले साल 11 अगस्त को समूह की जीवन बीमा कंपनी, सहारा लाइफ इंश्योरेंस को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसके जवाब और 13 दिसंबर को हुई निजी सुनवाई के बाद इरडा ने कंपनी को कुल 23 इल्जांमों में से केवल तीन में दोषी पाया है और इसके लिए कुल 12 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। बाकी 20 मामलों में से चार में उसे चेतावनी दी गई है और 16 में हल्की-की टिप्पणी करके छोड़ दिया गया है।
इरडा ने जिन तीन आरोपों में सहारा लाइफ को दोषी पाया है, उनमैं से एक है अयोग्य फर्म को कॉरपोरेट एजेंट बनाना। इसमें किसी डीके एसोसिट्स के मामले पर इऱडा ने गौर किया और जांच के बाद सहारा लाइफ पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। दूसरा मामला 185 गैर-लाइसेंसशुदा एजेंटों से डमी कोड के जरिए बिजनेस कराने और कमीशन देने का है। इसमें भी कंपनी पर 5 लाख का जुर्माना लगाया गया है। तीसरा मामला मृत्यु दावे में भुगतान की देरी का है। इरडा ने जांच के पाया कि 220 मृत्यु दावों में 30 दावों को छह महीने से ज्यादा लटकाए रखा गया। इस पर उसने सहारा लाइफ पर दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
सहारा लाइफ पर यह भी इल्जाम था कि उसने तय मानकों का उल्लंघन करते हुए कम रेटिंग वाली प्रतिभूतियों में निवेश किया है। यह भी कि मीटिंग के खर्च के मद में समूह की ही फर्म को ज्यादा भुगतान किया गया है। सहारा केयर को 2008-09 में बैठक या सम्मेलन की व्यवस्था के लिए 20 लाख रुपए दिए गए थे। लेकिन अगले वर्ष 2009-10 में यह खर्च 1.04 करोड़ रुपए हो गया। कंपनी पर सहारा जमाकर्ता समूह बीमा में भी गड़बड़ी का आरोप था। लेकिन ऐसे तमाम इल्जामों को इरडा ने कंपनी का जवाब मिलने के बाद रफा-तफा कर दिया।
बता दें कि सहारा लाइफ इंश्योरेंस का धंधा ज्यादा बड़ा नहीं है। जनवरी 2012 तक उसके द्वारा दी गई कुल पॉलिसियों की संख्या 48,383 थी। इसमें से 44,788 पॉलिसियां एकल प्रीमिमय वाली थीं और 3593 पॉलिसियां गैर-एकल प्रीमियम वाली थीं। चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक इनमें जमा कुल प्रीमियम की रकम 46.80 करोड़ रुपए थी।