खूंटे से बंधी गाय

इसे अहम कहें या आत्ममुग्धता, हम अपने में खोए और आक्रांत रहते हैं। खूंटे से बंधी गाय की तरह हमारा वृत्त बंध गया है। आम से लेकर खास तक, ज्ञानी और विद्वान तक अंदर के चुम्बक से पार नहीं पा पाते।

1 Comment

  1. हमें अपनी ही सीमाओं को तोड़ना पड़ेगा।

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