चलो तो सही

चलने पर चौराहे नहीं, अठराहे भी मिल सकते हैं। लेकिन चलने से ही राहें खुलती हैं। चलिए तो समुद्र भी दोफाड़ होकर आपकी राह संवार देता है। तो, काहे रुके हो भाई! चलो तो सही। मंजिल आपकी बाट जोह रही है।

1 Comment

  1. जो नहीं चले उसके लिये तो सारा जगत स्थिर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *