अपना रिजर्व बैंक ना घर का ना घाट का

मुद्रास्फीति और बॉन्डों पर यील्ड की उल्टी गति ने अमेरिका ही नहीं, सभी देशों के केंद्रीय बैंकों को झकझोर कर रख दिया है। चीन पहले से ही परेशान है। लेकिन अपने यहां सरकार अर्थव्यवस्था की मजबूती का डंका बजा रही है और रिजर्व बैंक महज खानापूरी करने में लगा है। दिक्कत यह भी है कि उसकी संरचना में मूलभूत खामी है। उसे एक साथ तीन भूमिकाएं निभानी होती हैं। पहली है केंद्र व राज्य सरकारों के ऋण का इंतज़ाम। इसके लिए उसे ब्याज दर को कम से कम रखना पड़ता है। दूसरी भूमिका बैंकों के नियामक की है। अगर किसी वजह से ब्याज दर बढ़ जाए तो बॉन्डों के दाम घट जाएंगे और बैंकों को घाटा लग सकता है। तीसरी भूमिका है मौद्रिक नीति व मुद्रास्फीति पर नियंत्रण। पहली दो भूमिकाएं तीसरी को पंगु बना देती हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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